कर्मियों और बॉडीगार्ड के जरिए कॉलर पकड़ चैंबर से बाहर करने पर भड़का आक्रोश
डॉक्टरों ने कहा कि अगर डीडीसी काफी नहीं मांगेंगी, तो बुधवार से सभी हड़ताल पर चले जाएंगे
सभी आरोप बेबुनियाद और गलत : डीडीसी
Gaurav Prakash
Hazaribagh : हजारीबाग शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल के डॉक्टर बुधवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जा सकते हैं. दरअसल पूरा मामला डॉक्टरों के साथ दुर्व्यवहार, असंसदीय भाषा का इसतेमाल और मारपीट से जुड़ा हुआ है. शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज के शिशु रोग विभाग के विभागाध्यक्ष सह सहायक प्राध्यापक डॉ विशाल ने आरोप लगाया है कि डीडीसी प्रेरणा दीक्षित ने मंगलवार को अपने कार्यालय में उनके साथ बदसलूकी की और आपत्तिजनक शब्द का इस्तेमाल किया है. आधे घंटे तक अपने चेंबर में खड़ा रखा और जब कुर्सी पर बैठ गए, तो उन्हें डांट कर और अभद्र भाषा का उपयोग करते हुए कुर्सी से उठा दिया. इतना ही नहीं अपने कर्मी और बॉडीगार्ड से कॉलर पकड़कर कार्यालय कक्ष से बाहर करवा दिया और धमकी दी कि उनका लाइसेंस भी रद्द कर देंगी.
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प्रशासनिक अधिकारी कर रहे गल व्यवहार- डॉक्टर
ऐसे में शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज में सभी चिकित्सक ने बैठकर इस पूरे घटनाक्रम पर चिंतन और दुख जाहिर किया. उनका कहना है कि डॉक्टरों के साथ जिस तरह से व्यवहार किया जा रहा है, यह बेहद दुखदाई, शर्मनाक और चिंतनीय है. डॉक्टरों की कोशिश होती है कि वह अपना भरपूर सेवा दें. लेकिन सेवा देने के बावजूद अब प्रशासनिक पदाधिकारी उन लोगों के साथ गलत व्यवहार कर रहे हैं, तो यह खेद का विषय है. उन्होंने यह भी कहा कि अगर पदाधिकारी डॉक्टरों से माफी नहीं मांगेंगी, वे लोग अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चल जाएंगे और इसकी पूरी जिम्मेवारी प्रशासन पर होगी.
जबरन डॉक्टरों के वाट्सग्रुप में शामिल हुईं डीडीसी और दिखाने लगीं अपने तेवर
मेडिकल कॉलेज अस्पताल के चिकित्सक ने प्राचार्य को आवेदन दिया है और उसमें लिखा है कि कुछ दिन पहले ही डीडीसी प्रेरणा दीक्षित शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल के डॉक्टरों के व्हाट्सएप ग्रुप में जबरन शामिल हुईं. शामिल होने पर ग्रुप से ही धमकियां, दिल्लगी और अपशब्द का प्रयोग करने लगीं. साथ ही वेतन बंद करने की भी धमकी देने लगीं.
डीडीसी की मानसिक स्थिति ठीक नहीं, जांच की जरूरत : डॉक्टर
आवेदन में यह भी कहा गया है डॉक्टरों के साथ लगातार अव्यावहारिक, अपशब्द, मानसिक प्रताड़ना और डॉक्टर विशाल के साथ दुर्व्यवहार से प्रतीत होता है कि उनका मानसिक संतुलन ठीक नहीं है. यह व्यवहारिक होगा कि उनके जैसे महत्वपूर्ण पद पर आसीन व्यक्ति की मानसिक स्थिति की जांच करवाई जाए.
डॉ विशाल में बताई अपनी आपबीती
डॉ विशाल में अपनी आपबीती बताते हुए कहा कि जिस तरह से पदाधिकारी ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया है, उससे वह काफी दुखी हैं और मानसिक रूप से परेशान हैं. कोई भी व्यक्ति डॉक्टरी की पढ़ाई करता है, तो यह उम्मीद करता है कि लोग उनसे बेहतर व्यवहार करे, क्योंकि वह दिन-रात मानवता की सेवा करते हैं. लेकिन पदाधिकारी अपना आपा खो कर उनके साथ गलत व्यवहार किया है. इस कारण अब वह काम करने की स्थिति में नहीं हैं और तत्काल छुट्टी में जा रहे हैं. जब तक उनकी मानसिक स्थिति ठीक होगी, वह सेवा नहीं दे पाएंगे.
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डॉक्टरों ने झासा से की बातचीत, आइएमए में की शिकायत
डॉक्टरों के झासा से भी बात की है. वहां से उन लोगों को कहा गया है कि वे सभी हड़ताल पर चले जाएं, जब तक पदाधिकारी डॉक्टरों से माफी नहीं मांगती हैं. वहीं शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज के चिकित्सक ने इस घटना की जानकारी आईएमए को भी दी है. अब आइएमए भी इस पूरे मामले पर अपना फैसला लेगी.
सभी डॉक्टरों ने की डीडीसी की कार्यशैली की खिलाफत, कहा-‘चोर’ शब्द तक का किया इस्तेमाल
शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज के चिकित्सक डॉक्टर विशाल ने कॉलेज के प्राचार्य के कक्ष में ही आकर अपनी आपबीती सुनाई. सभी चिकित्सकों ने एक मत में कहा कि कुछ दिन से डीडीसी उन लोगों के साथ गलत व्यवहार कर रही हैं और ग्रुप में भी ‘चोर’ जैसे शब्द का उपयोग कर रही हैं, जो सरासर गलत है. वे लोग बहुत ही कम संसाधन में काम कर रहे हैं. चिकित्सकों की घोर कमी है, इसके बावजूद हम लोगों के साथ गलत व्यवहार करना यह सरासर गलत है. डॉक्टरों का यह भी कहना है कि कुछ दिन पहले एक आदेश जारी किया गया कि सभी डॉक्टर जेनेरिक दवा लिखेंगे. अगर नहीं लिखेंगे तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. क्या यह संभव है ? कई ऐसी बीमारियां हैं, जहां उन लोगों को जेनेरिक दवाएं उपलब्ध नहीं हो पाती हैं. ऐसे में इस तरह का आदेश देना सरासर गलत है.
सभी आरोप बेबुनियाद : डीडीसी
इस पूरे प्रकरण पर डीडीसी प्रेरणा दीक्षित का कहना है कि सभी आरोप बेबुनियाद है. उन्होंने डॉक्टर विशाल से यह पूछा था कि आप आज कहां हैं, तो उन्होंने कहा कि मैं राउंड पर हूं. उनसे कहा गया कि आप अपना लाइव लोकेशन उन्हें भेजें. लेकिन चिकित्सक ने लाइव लोकेशन नहीं भेजा. उन्हें पता चला कि वह रामगढ़ में हैं और जब उन्होंने उन्हें कहा कि आप चेंबर में आएं, तो दो घंटे विलंब से पहुंचे. डीडीसी का यह भी कहना है कि जब उनसे कहा गया कि आप लाइव लोकेशन दें, तो चिकित्सक ने कहा कि उन्हें संघ ने मना किया है. चिकित्सकों को सरकार सेवा देने के लिए सैलेरी देती है. लेकिन डॉक्टर अस्पताल में सेवा नहीं देने के बजाय निजी प्रैक्टिस करते हैं. यह कहीं से भी ठीक नहीं है. इस पूरे प्रकरण के पीछे का कारण भी यही है.
डॉक्टरों के साथ मारपीट और गलत व्यवहार दुर्भाग्यपूर्ण : डॉ एसके सिंह
मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉक्टर एसके सिंह ने इस पूरे घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है. उन्होंने कहा कि वे लोग कैसे काम करें, यह बेहद चिंता का विषय है. डॉ विशाल कुमार के साथ डीडीसी ने गलत व्यवहार किया और अपने बॉडीगार्ड से कॉलर पकड़कर चैंबर से बाहर निकाल दिया, यह बेहद दुखदाई बात है. हम सभी चिकित्सक डॉक्टर विशाल के साथ हैं. जो भी चिकित्सक फैसला लेंगे, उसका वह समर्थन करेंगे.
कजाला ऐप से जुड़ा हुआ है पूरा मामला
दरअसल यह पूरा मामला कजाला ऐप से जुड़ा हुआ है. प्रेरणा दीक्षित को बतौर प्रशासक नियुक्त किया गया है. डीडीसी प्रेरणा दीक्षित ने डॉक्टरों को कजाला ऐप डाउनलोड करने का दबाव बनाया था. डॉक्टरों ने स्वीकार नहीं किया और उस ग्रुप से ही खुद को लेफ्ट कर लिया. उसके बाद से ही डॉक्टर और उप विकास आयुक्त के बीच मनमुटाव बढ़ता चला गया. इस ऐप को डाउनलोड करने के बाद उस व्यक्ति का लाइव लोकेशन हमेशा ट्रैक किया जा सकता है. ऐसे में डॉक्टरों को इस बात का भय हो गया कि अगर वह समय पर अस्पताल नहीं आए और सेवा नहीं दी, तो इसकी जानकारी प्रशासन को मिल जाएगी. इस कारण भी चिकित्सकों ने इस ऐप को डाउनलोड नहीं किया. चिकित्सकों का कहना है कि अगर ऐप को डाउनलोड कर लेंगे, तो उनकी गोपनीयता भंग होगी, जो सरासर गलत है.