Rajendra Kumar Dubey
Vishnugarh, Hazaribagh: विष्णुगढ़ प्रखंड मुख्यालय से चेडरा पंचायत अंतर्गत चलंगा गांव को जोड़ने वाली सड़क एक पुल के अभाव में बेकार हो गयी है. इचाक डहर नाम से खतियान में दर्ज इस सड़क का निर्माण 2012-13 में हुआ था. इकरारनामे की शर्तों के मुताबिक पांच वर्षों तक इसका रखरखाव निर्माता एजेंसी को करना था, पर वैसा हुआ नहीं. नतीजतन घटिया निर्माण तथा रख-रखाव के अभाव में अल्प अवधि में ही सड़क की दुर्दशा हो गयी. कई जगहों पर तो सड़क का कालीकरण हुआ ही नहीं है. जैसे तैसे सड़क तो बन गयी लेकिन इस सड़क में पड़ने वाली जमुनिया नदी पर पुल नहीं बना. कायदे से सड़क के साथ-साथ पुल का भी निर्माण होना चाहिये था. पुल के न होने से वाहनों के जरिये इस सड़क पर सफर नहीं किया जा सकता है. स्तरीय निर्माण नहीं होने की वजह से कई जगह सड़क लापता हो गयी है. कहीं कहीं इसके अवशेष जरूर दिखते हैं. अब तो यह सड़क पगडंडी की शक्ल अख्तियार कर चुकी है. ऊपर से अतिक्रमण की मार अलग है.
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पैसे डकारने के लिए बनती हैं पीएमजीवाई के तहत सड़कें
वैसे इस सड़क की कोई जरूरत इसलिए भी नहीं थी, क्योंकि चलंगा को एनएच 522 जोड़ने वाली पीसीसी सड़क पहले से मौजूद थी. हां, अगर नदी में पुल होता तो विष्णुगढ़ से विष्णुगढ़ इंटर कॉलेज व डिग्री कॉलेज में पढ़ाई करने जाने वाले छात्र-छात्राओं को कम से कम एक से डेढ़ किलोमीटर की दूरी कम तय करनी पड़ती. दरअसल पीएमजीवाई के तहत बनने वाली सड़कों का निर्माण ग्रामीणों की सहूलियत के नजरिए होता ही नहीं है. मकसद अभियंताओं और ठेकेदारों का हित साधन होता है.पैसे बनाना इसका असली मकसद होता है. ठेकेदार पहले ग्रामीण सड़कों का चुनाव करते हैं.फिर निविदा करवाते हैं. निविदा के साथ ही लूटपाट की पटकथा भी लिख दी जाती है. ज्यादातर पीएमजीवाई सड़कों की यही यथार्थ है. ईमानदारी से जांच हो तो इन सड़कों की काली सच्चाई सामने आ जायेगी.
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