पेट में खुला छोड़ दिया दो पाइप, चार साल से पेट में बना हुआ है दर्द
इलाज में 1.30 लाख रुपए हो चुका है खर्च, फिर कही जा रही दो ऑपरेशन की बात
पैसे के लिए परिजन लगा रहे सहयोग की गुहार, नहीं मिल रहा कोई मददगार
Jaideep Kumar
Barhi : बरही में एक नर्सिंग होम पर आरोप है कि मरीज के इलाज में लापरवाही बरती. अब भुक्तभोगी मरीज जिंदगी के लिए जंग लड़ रहा है. बता दें कि मरीज का ऑपरेशन कर उसकी किडनी से पथरी निकाली गई थी. डॉक्टर की लापरवाही से मरीज के पेट में दो पाइप खुला छोड़ दिया गया. इस वजह से चार साल से पेट में दर्द बना हुआ है. जान पर आफत बन आयी है. अब फिर से उसके दो ऑपरेशन की बात कही जा रही है. मरीज के परिजन के पास पैसे नहीं हैं. ऑपरेशन में लाखों के खर्च बताए जा रहे हैं. ऐसे में मरीज के परिवार आर्थिक सहयोग के लिए मदद की गुहार लगा रहे हैं. लेकिन कोई मददगार अब तक सामने नहीं आया है.
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जानिए, क्या है पूरा मामला
7 अक्तूबर 2018 को पेट दर्द के बाद करियातपुर निवासी मजदूर सीताराम रविदास जीटी रोड स्थित रामकृष्ण चैरिटेबल नर्सिंग होम में इलाज के लिए गए. मरीज के पुत्र सोनू कुमार ने बताया कि वहां नर्सिंग होम के संचालक और चिकित्सक डॉ भुनेश्वर साव की देखरेख में इलाज प्रारंभ हुआ. लगभग 15 दिनों के इलाज के बावजूद मरीज ठीक नहीं हुआ.
संचालक अपनी गाड़ी से ले गये दूसरा नर्सिंग होम
मोनू कुमार ने बताया कि उनके पिता की हालत बिगड़ता देख संचालक अपनी गाड़ी से मरीज को हजारीबाग के एक नर्सिंग होम में बिना परिजन की सलाह के इलाज के लिए ले गये. वहां किडनी में पथरी का ऑपरेशन किया गया. ऑपरेशन के दो दिन बाद संचालक ने मरीज को करियातपुर स्थित नर्सिंग होम में अपनी ही गाड़ी से लाया और उसकी देखभाल की. लगभग एक सप्ताह बाद टांका काटने के बाद मरीज की छुट्टी कर दी गई. इसके लिए परिजनों से 1.30 लाख रुपए नकद बतौर फीस ली गई. परंतु दर्द की शिकायत बनी रही. संचालक ने ऑपरेशन में प्लास्टिक के धागा से सिलाई के कारण 36 महीनों तक दर्द रहने की बात बताई. इस बीच मरीज बराबर संचालक की सलाह पर दवाइयां खाता रहा.
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दूसरी जगह कराया अल्ट्रासाउंड तो लापरवाही की बात आयी सामने
तीन साल बाद भी पेट का दर्द ठीक नहीं होने पर परिजनों ने दूसरी जगह अल्ट्रासाउंड करवाया. वहां पेट में ऑपरेशन के दौरान दो पाइप खुले छोड़ने की बात सामने आयी. इसकी शिकायत करने पर संचालक ने उलटी-सीधी बात कह भुक्तभोगी को ही फटकार लगाते हुए भगा दिया. चिकित्सकों के अनुसार अब मरीज का तत्काल दो ऑपरेशन करना अनिवार्य है, जिसमें लाखो का खर्च आयेगा.
आर्थिक सहयोग के लिए गुहार, नहीं आया कोई मददगार
पत्नी कलावती देवी ने अपने पति के इलाज के लिए स्थानीय प्रशासन से लेकर जनप्रतिनिधियों तक गुहार लगा चुकी है. परंतु कहीं से अब तक कोई मदद नहीं मिली है
क्या कहते हैं संचालक
नर्सिंग होम के संचालक और चिकित्सक डॉ भुनेश्वर साव ने बताया कि मरीज सीताराम रविदास का उनके नर्सिंग होम में इलाज नहीं हुआ है. सिर्फ परामर्श दिए गए हैं. उसका इलाज और ऑपरेशन हजारीबाग के सहाय नर्सिंग होम में डॉ तापस की निगरानी में किया गया था. सभी आरोप बेबुनियाद हैं. उनके यहां किसी भी प्रकार का ऑपरेशन नहीं होता है. वर्तमान में पिछले कई महीनों से कोई चिकित्सक भी नहीं है.
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संचालक ने मुआवजा देने की कही थी बात : मुखिया
स्थानीय मुखिया मनोज कुमार ने बताया कि परिजनों की शिकायत पर संचालक के साथ बैठक की गई थी. मामला बरही थाना भी गया था. संचालक ने बतौर मुआवजा 1.30 लाख रुपए देने और इलाज करवाने की बात कही गई है. परंतु अब तक मुआवजा नहीं दिया गया है. इस संबंध में फिर से बैठक कराई जाएगी.
संचालक को इलाज करवाने का दिया गया है निर्देश : सब इंस्पेक्टर
मामले की जांच कर रहे सब इंस्पेक्टर नवीन पांडेय ने बताया कि संचालक को फटकार लगाई गई है. साथ ही मरीज का समुचित इलाज करवाने का निर्देश भी दिया गया है. प्रथम दृष्ट्या संचालक दोषी है, जिसने ठेका लेकर मरीज का इलाज करवाया. हालांकि घटना हजारीबाग में होने के कारण थाना प्रभारी के निर्देशानुसार मामले को संबंधित क्षेत्र में ही दर्ज करने का निर्देश दिया गया है.
आवेदन मिलने पर होगी जांच : डीएस
डीएस डॉ प्रकाश ज्ञानी ने बताया कि परिजनों की ओर से अब तक कोई शिकायत नहीं मिली है. अवैध रूप से संचालित नर्सिंग होम के खिलाफ लगातार छापेमारी जारी है. जल्दी ही उस नर्सिंग होम की भी जांच की जाएगी.
मामले पर भीम आर्मी सेना सक्रिय
पीड़ित को न्याय दिलाने को लेकर भीम आर्मी सेना सक्रिय हो चुका है. प्रखंड अध्यक्ष लक्ष्मण राव अंबेडकर ने बताया कि मामले को लेकर स्थानीय प्रतिनिधि से लेकर प्रशासन तक टाल मटोल कर रहा है. मरीज बोरा ढोने वाला मजदूर है, जिसकी आर्थिक स्थिति बिल्कुल ही दयनीय है. वह जीवन के लिए जंग लड़ रहा है. उन्होंने संबंधित अधिकारियों से गरीब परिवार को उचित न्याय दिलाने की मांग की है.
मामले का प्रमुख तथ्य
* अक्तूबर 2018 में जीटी रोड करियातपुर स्थित रामकृष्ण चैरिटेबल नर्सिंग होम में लगभग एक माह तक चला था इलाज.
* मरणासन्न स्थिति में हजारीबाग सहाय नर्सिंग होम में डॉक्टर तापस की निगरानी में कराया गया था ऑपरेशन.
* रामकृष्ण चैरिटेबल नर्सिंग होम के संचालक ने इलाज के लिए मरीज से लिए थे 1.30 लाख रुपए
* बगैर चिकित्सक और पैथोलॉजी के नर्सिंग होम में किया गया था इलाज
* ऑपरेशन के बाद 36 महीने तक दर्द रहने की कही गई थी बात
* तीन साल बाद पेट में पाइप खुले रहने का मामला आया सामने
* संचालक ने मामले को बताया बेबुनियाद, पीड़ित ने मदद के लिए लगाई गुहार