Hazaribagh: जिले के कटकमदाग प्रखंड के गोंदा डैम से एक नहर के पुनरुद्धार का काम चल रहा है. लगभग 12 करोड़ की योजना से इस नहर का निर्माण होना है. इसके तहत 5.5 किलोमीटर के लगभग पक्की नहर बनानी है. जिनमें से पांच ब्रांच नहर निकलेगी जो केवल मिट्टी से बनेगा. पूरे नहर की लंबाई लगभग 10.32 किलोमीटर है. इस नहर के बन जाने से सलगावां, कदमा, बलियंद, कस्तूरी खाप, गदोखर और छड़वा के इलाके में सिंचाई हो सकेगी. नहर का काम जोर-शोर से चल रहा है. और पक्की नहर का निर्माण कस्तूरीखाप तक हो गया है. यानी लगभग 2 किलोमीटर की नहर बनाई जा चुकी है. इस पूरे कार्य का निष्पादन इस साल के अगस्त तक कर देना है. देर से शुरू हुए इस नहर निर्माण और बीच में कोरोना काल के कारण तय समय तक नहर का निर्माण का होना मुश्किल है. इसी कारण कई जगहों पर गुणवत्ता में कमी की शिकायत की जा रही है. स्थानीय लोगों ने कई बार सीमेंट के निर्माण में सही तरीके से पानी के पटवन नहीं किए जाने की शिकायत की है.
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गुस्से में हैं पर्यावरण प्रेमी
निर्माण कार्य के अलग एक और बात है, जो पर्यावरण प्रेमियों को खटक रही है. कस्तूरीखाप के पास एक बहुत बड़ा तालाब है. इस तालाब में प्रवासी और स्थानीय पक्षियों का जमावड़ा रहता है. तालाब के किनारों पर उगे थेथर में इन पक्षियों का बसेरा है. साथ ही कई तैरने वाले घोसले भी यहां बने हुए हैं. साल के इन्हीं दो-तीन महीनों में इनका यहां प्रवास भी होता है. पक्षी यहां मिलन भी करते हैं. और प्रजनन भी करते हैं. राजवर्धन कंस्ट्रक्शन कंपनी जो इस पूरे नहर का निर्माण कर रही है. धड़ल्ले से इस तालाब के इर्द-गिर्द भी अपने भारी मशीनों का प्रयोग कर रही है. जिसके कारण पश्चिमी तट के एक बड़े भू-भाग पर जलीय पौधों और जलीय परिंदों के बसेरा को काफी नुकसान पहुंचा है. ना तो संबंधित विभाग से इसकी कोई मंजूरी ली गई है, और ना ही संबंधित विभाग के अधिकारी यानी वाइल्डलाइफ के डीएफओ ही इस पर कोई पहल कर रहे हैं. जिससे पर्यावरण प्रेमियों में काफी आक्रोश है. और वे राज्य और केंद्रीय स्तर पर शिकायत करने का मन बना चुके हैं.
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क्या कहते हैं पक्षी प्रेमी ?
जाने-माने पशु प्रेमी पर्यावरण प्रेमी मुरारी सिंह ने बताया कि, इन प्रवासी और स्थानीय जलीय पक्षियों को थेथर क्षेत्र में उपजे पादप और जलीय कीटों पर निर्भर रहना पड़ता है. ये यहीं प्रवास के लिए अपना घोंसला भी बनाते हैं. ऐसे वक्त में ऐसे किसी क्षेत्र में निर्माण का कार्य नहीं होना चाहिए. वाइल्डलाइफ डीएफओ की जिम्मेवारी भी होती है कि, वह सारी चीजों की स्थिति को देखते हुए ये निर्णय ले कि, ऐसे क्षेत्रों में निर्माण कार्य होना चाहिए, या नहीं होना चाहिए. वहीं इस इलाके के पर्यावरण प्रेमी नहर निर्माण कार्य को प्रभावित क्षेत्र में निर्माण को 2 महीने टालने की बात कर रहे हैं. ताकि 2 महीने में पक्षी जब यहां से चले जाएं निर्माण हो.
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