Hazaribagh : राज्य के पूर्व मंत्री और बड़कागांव विधायक अंबा प्रसाद के पिता योगेंद्र साव ने जिस जमीन पर कब्जा किया था उस जमीन को जिला प्रशासन ने बुलडोजर चलाकर मुक्त करा लिया है. साथ ही योगेंद्र साव पर प्राथमिकी भी दर्ज करने की बात कही जा रही है. जिला प्रशासन की टीम सुबह दलबल के साथ उस जमीन पर पहुंची है और बलपूर्वक अवैध रूप को हटा दिया. सदर प्रखंड के अंचल अधिकारी शशि भूषण की उपस्थिति में कार्रवाई की गई. दरअसल शहर के हुरहुरु स्थित खासमहल की सरकारी जमीन पर रोक के बावजूद चारदीवारी खड़ी कर दी गई थी. 11 नवंबर को खास महल की जमीन पर मालिकाना हक को लेकर विवाद हुआ था और जांच के बाद सीओ ने तत्काल सभी प्रकार के निर्माण पर रोक लगा दी थी. रोक के बाद जमीन से संबंधित कागजातों की जांच के लिए 22 नवंबर की तिथि सीओ के कोर्ट में निर्धारित की गई, परंतु सुनवाई से पूर्व ही सरकारी आदेश की धज्जियां उड़ाते हुए चारदीवारी का निर्माण कर दिया गया. बता दें कि जमीन पर कब्जा जमाने का आरोप पूर्व मंत्री योगेंद्र साव पर था. जाच करने के बाद नोटिस भेजकर पुलिस की मदद से निर्माण कार्य को बंद करा दिया गया.
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क्या है पूरा मामला
हुरहुरु स्थित जिस जमीन पर कब्जा को लेकर दावा किया जा रहा है, उसकी प्रकृति खास महल है. यह मौजा कैन्टोनमेन्ट, थाना नंबर 157, भवन पट्टा, होल्डिंग संख्या 302, प्लॉट संख्या 872,1235, 873,1336 एवं 893,1337 है. जिसका रकबा 25 डिसमिल, 15 डिसमिल और 10 डिसमिल है जो कुल 50 डिसमिल होता है. इसी 50 डिसमिल के आधा हिस्सा में चारदीवारी निर्माण का कार्य किया जा रहा था, जांच के बाद 11 नवंबर को निर्माण कार्य बंद करा दिया गया था. कुल 50 डिसमिल जमीन को लेकर पूर्व मंत्री योगेंद्र साव के साथ-साथ लीजधारक एहसान अंसारी को नोटिस भेजा गया. नोटिस में चारदीवारी की जा रही जमीन को खासमहल की जमीन बताते हुए उसे सरकारी बताया गया था. विभाग का कहना था कि लीजधारी की मौत हो गई और इससे पूर्व 2008 में लीज की अवधि भी खत्म हो गई थी. ऐसे में यह जमीन सरकार की है. जानकारी के अनुसार इस जमीन को पूर्व मंत्री योगेंद्र साव ने पावर ऑफ अटार्नी के माध्यम से जमीन ले ली. मामला जब विवाद में आया तो अपर समाहर्ता ने सदर अंचल अधिकारी को पत्र लिखकर जांच रिपोर्ट देने को कहा था. अपर समाहर्ता ने कहा कि यह भूमि खास महल लीज की भूमि है. जो लीजधारी मो. एहसान, पिता स्व. मो. सामुएल के नाम से दिनांक 31 मार्च 2008 तक था. जांच में यह भी प्रतिवेदित किया गया कि वर्तमान समय में लीज भूमि पर लीजधारी या उनके वंशज निवास नहीं करते हैं.
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