Pramod Upadhyay
Hazaribagh: शमशुद्दीन मियां पहले नेताजी थे. अब मस्तान बाबा बन गए हैं. अब वह भूत-प्रेत बाधा दूर करने का दावा करते नजर आते हैं. इतना ही नहीं झाड़-फूंक कर मिर्गी और मलेरिया से मुक्ति दिलाने की बात भी करते हैं. उन्होंने भोले-भाले ग्रामीणों को अपने जाल में फांसने के लिए कई एजेंट भी बहाल कर रखा है. चतरा से लेकर जामताड़ा और कोडरमा से लेकर रामगढ़ तक के लोग मस्तान बाबा के फेर में फंसे हुए हैं.
यह मामला है हजारीबाग के कटकमसांडी स्थित डांड़ गांव का. यहां निकट ही कर्माटांड़ जंगल है, जहां मस्तान बाबा ने कथित आश्रम खोल रखा है. उनके चेले-चपाटी बाबा के करिश्मे का खूब महिमामंडन कर उनके नाम की प्रसिद्धि फैलाने में जुटे रहते हैं. बाबा भोग और चढ़ावे के नाम पर मलेरिया और मिर्गी के साथ फड़का बीमारी का भी इलाज करने की बात करते हैं. मस्तान बाबा कभी एक पार्टी के प्रखंड कमेटी के सदस्य भी हुआ करते थे. बाद में मुखिया के लिए चुनाव में किस्मत भी आजमायी. राजनीति में कामयाब नहीं होने पर मस्तान बाबा बन अब ग्रामीणों की शारीरिक बाधाएं दूर करने का दंभ भरते नजर आते हैं. तंत्र विद्या से उन बाधाओं को दूर भगाने का दावा करते हैं.
जलमा में एक पान विक्रेता ने बताया कि इसके बदले उन्हें चढ़ावा भी खूब मिलता है. हजारीबाग, गिरिडीह, चतरा, कोडरमा, रामगढ़, बोकारो, जामताड़ा आदि से ग्रामीण इनके आश्रम में पहुंचते हैं. कोई सिर धुनता हुआ युवक आता है, तो किसी पर माता सवार रहती हैं. किसी को जिन्न बाधा की शिकायत है, तो किसी पर प्रेत की छाया विराजमान है. मस्तान बाबा झाड़-फूंक, मंत्र-तंत्र से सभी के इलाज का दावा करते हैं. अब यह मस्तान बाबा के प्रति ग्रामीणों की आस्था है या फिर अंधविश्वास, लेकिन आश्रम में रहनेवाले लोगों की रोजी-रोटी तो ऐसे ही पीड़ित ग्रामीणों के इलाज से आनेवाली मोटी रकम से पिछले पांच साल से चल रहा है.
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कटकमसांडी के डांड़ के अलावा पबरा, इचाक के डुमरौन, दरिया बरका, बड़कागांव के नापोखुर्द, चुरचू और पदमा के ग्रामीण क्षेत्रों में भी अंधविश्वास की यह हवा बह रही है. दशहरा आते ही ऐसे कई मस्तान बाबा इन इलाकों में नजर आने लगते हैं और वहां जागरुकता के अभाव में अंधविश्वास में जकड़े ग्रामीण उनके झांसे में फंसे देखे जा सकते हैं. मस्तान बाबा ने शुभम संदेश से बात करते हुए कहा कि चुटकियों में वह हर मर्ज का इलाज करते हैं. एक बार देखकर ही उन्हें मरीज की बीमारी का इल्म हो जाता है. फिर अपने अंदाज में उनका इलाज शुरू कर देते हैं. पिछले पांच वर्षों में उन्होंने कई-कई रतजगा कर भूतों को नचाया है और जिन्न को रूलाया है. कई लोगों के शरीर से प्रेतात्मा को निकाल फेंका है. उनका शर्तिया इलाज है और यही वजह है कि लोग उन पर आस्था जताते हैं.
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