Bismay Alankar
Hazaribagh: हजारीबाग जिले में मिड डे मील उधार के पैसे से चल रहा है. स्कूल के हेड मास्टर और समिति के लोग पिछले 10 दिनों से अपने खर्चे पर मिड डे मील चला रहे हैं. सरकार की तरफ से मिलने वाले पैसे अभी तक खाते में नहीं आए हैं. जबकि जिले के पदाधिकारियों ने स्कूल प्रबंधन को मौखिक आदेश दिया है कि किसी भी तरह से मिड डे मील को चलाया जाय. बाद में पैसा आएगा तो फिर हिसाब किताब देखा जाएगा. मौखिक आदेश के बाद स्कूल प्रबंधन अपने जेब से या फिर उधार लेकर मिड डे मील चला रहे हैं.
हजारीबाग जिले में लगभग डेढ़ लाख बच्चे मिड डे मील ग्रहण करते हैं. बता दें कि यहां 1475 स्कूलों में मिड डे मील सर्व किया जाता है. इनमें लगभग 1 लाख नब्बे हज़ार बच्चों का नामांकन है. जबकि रोज लगभग डेढ़ लाख बच्चे मध्याह्न भोजन करते हैं. सरकार द्वारा एक से 5 वर्ग के लिए प्रति बच्चे की दर से 4.97 रुपए राशन के लिए दिया जाता है. जबकि छठी से आठवीं तक के बच्चों के लिए 7.45 रुपए की राशि तय है. पहले यह राशि राज्य सरकार के द्वारा जिले को निर्गत होती थी. फिर जिले से विभिन्न प्रखंडों में यह राशि निर्गत कर दी जाती थी. वहां से स्कूलों तक यह राशि भेजी जाती थी. कोरोना काल में राज्य सरकार से एक निर्देश आया कि स्कूल में मिड डे मील के जो भी पैसे हैं उसे वापस राज्य को भेज दिया जाए. पूरे अकाउंट को जीरो कर दिया जाए. इस आदेश के बाद सभी स्कूलों ने स्कूल से पैसे को चेक के माध्यम से वापस राज्य सरकार को भेज दिया. ऐसे में इस मद के सभी अकाउंट जीरो हो गए. अब जब स्कूल खुले हैं तो आज 10 दिन से अधिक हो जाने के बाद भी राज्य सरकार की तरफ से अभी तक इस मद में पैसे नहीं भेजे गए हैं.
मध्याह्न भोजन ना रूके इसके लिए जिला प्रशासन ने सभी स्कूल के समितियों से कहा है कि वह अपने स्तर पर भोजन की व्यवस्था करे. अब यह सारी व्यवस्था स्कूल प्रबंधन को देखना पड़ रहा है. हज़ारीबाग़ के कदमा स्कूल के हेडमास्टर बताते हैं कि अब तक उनके जेब से लगभग 10 हज़ार रुपए लग चुके हैं. यह भी पता नहीं है कि यह पैसे कैसे और कब मिलेंगे. अब तो दुकानदार भी उधार नहीं दे रहे है. ऐसे में स्थिति विकट है. बहुत परेशानी हो रही है. ज़िला शिक्षा पदाधिकारी पुष्पा कुजूर ने कहा कि यह सही है कि अभी स्कूल की समिति को ही अपने स्तर से भोजन में मद में व्यय को करने कहा गया है. वो बच्चों को मध्याह्न भोजन किसी भी हालत में रोकना नहीं चाहती थी. इसलिए खाते में पैसे आने तक वैकल्पिक व्यवस्था करने का मौखिक आदेश सबको दिया गया है. जैसे ही सरकार से इस बाबत कोई आदेश आता है वैसा कदम उठाया जाएगा.
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