अपर समाहर्ता कार्यालय में छह माह से अटका पड़ा हुआ है मामला
न्यायालय पीठासीन पदाधिकारी ने रैयतों के पक्ष में दिया था फैसला
Rajesh Kumar
Barkagaon: झारखंड सरकार के मंत्री के आदेश के छह महीने से ज्यादा समय बीतने के बावजूद रैयतों का लगान रसीद नहीं कट पाया है. मामला बड़कागांव प्रखंड अंतर्गत नापोखुर्द तथा पोटंगा पंचायत का है. दरअसल, पसेरिया-इंदिरा में वर्ष 2010 में जेएसडब्ल्यू के अधीन मेसर्स रोहन कोल कंपनी लिमिटेड को आवंटित जमीन के रैयतों ने अपनी जमीन वापसी के लिए न्यायालय सह राजस्व, निबंधन एवं भूमि सुधार मंत्री के पास याचिका दायर की थी. एक वर्ष कानूनी प्रक्रिया के बाद न्यायालय पीठासीन पदाधिकारी सह मंत्री द्वारा छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम 1908 की धारा 49 (5) के तहत जून 2023 को सुनवाई करते हुए रैयतों के पक्ष फैसला सुनाया गया. इसमें 16 खाता के लगभग 62 रैयतों की 112.75 एकड़ जमीन शामिल थी. रैयतों का आरोप है कि 15 जून 2023 के आसपास हम सभी रैयतों के पक्ष फैसला आया था. तब से हमलोग रसीद निर्गत कराने के लिए अपर समाहर्ता कार्यालय, हजारीबाग तथा विभागीय मंत्री कार्यालय, रांची का चक्कर लगा रहें हैं. रसीद निर्गत नहीं होने पर स्थानीय विधायक अंबा प्रसाद के पास भी रैयतों ने फरियाद लगाई थी.
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विधायक ने डीसी से इस बाबत की थी बात
बड़कागांव विधायक ने इस मामले से हजारीबाग उपायुक्त नैंसी सहाय को अवगत कराया था. लेकिन, उपायुक्त के आश्वासन तथा मंत्री के फैसले के छह महीने से ज्यादा समय बीतने के बावजूद रोहन कोल कंपनी के रैयतों की जमीन वापसी का रसीद निर्गत होना शुरू नहीं हो पाया है. रैयतों का कहना कि जिला अपर समाहर्ता कार्यालय के चक्कर लगाकर थक चुके हैं, लेकिन हमलोगों की गुहार नहीं सुनी जा रही है. बता दें कि इससे पूर्व भी पहली किस्त में पीठासीन पदाधिकारी सह मंत्री के द्वारा सात खाता के रैयतों के पक्ष में फैसला सुनाया गया था. इसमें लगभग 57.58 एकड़ जमीन शामिल थी.
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