Gaurav Prakash
Hazaribagh : बहुचर्चित माहेश्वरी परिवार के छह लोगों की संदिग्ध हालत में हुई मौत का रहस्य अब खुल सकता है. दरअसल, चार साल के बाद जांच रिपोर्ट हजारीबाग पहुंची है. कोर्ट जब जांच रिपोर्ट मांगेगी, तो केस के आईओ नसीम सिद्दीकी कोर्ट में रिपोर्ट पेश करेंगे. जानकारी के अनुसार, दो दिन पहले 11 सैंपल की रिपोर्ट कोलकाता से हजारीबाग पहुंची है, और सदर थाना को सुपुर्द किया गया है.
बताया जा रहा है कि 11 सैंपल में सिग्नेचर, फिंगरप्रिंट, पेन ड्राइव, लिखावट, खून के सैंपल समेत कई बिंदुओं की जांच की गई थी. कुल 11 सैंपल भेजे गए थे. पूरा मामला जांच की आंच में दफन था. ऐसे में जांच की रिपोर्ट सामने आने के बाद यह उम्मीद जग रही है कि जल्द ही माहेश्वरी परिवार की संदिग्ध अवस्था में मौत का रहस्य खुलेगा. इस मामले को लेकर पहले हजारीबाग पुलिस जांच कर रही थी. जांच संतोषजनक नहीं होने पर कोर्ट के आदेश पर इसकी जांच अब सीआईडी कर रही है.
सीआईडी की टीम हजारीबाग पहुंचकर दो से तीन बार पूरे मामले की तहकीकात कर चुकी है. सीआईडी भी रिपोर्ट का इंतजार कर रही थी. बताया जाता है कि सैंपल में मोबाइल भी भेजा गया था. इस मोबाइल में यह खंगाला गया था कि आत्महत्या कैसे किया जाए. साथ ही यह भी बताया जा रहा है कि किस-किस व्यक्ति ने घटना के समय बातचीत की थी, इसकी भी डिटेल आ चुकी है.
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14 जुलाई 2018 को हुई थी दिल दहला देने वाली वारदात
14 जुलाई 2018 को खजांची तालाब के पास बने सीडीएम शुभम अपार्टमेंट के तीसरे तले कमरा नंबर 303 में रह रहे माहेश्वरी परिवार के छह लोगों के मौत का मामला प्रकाश में आया था. आज भी यह गुत्थी सुलझ नहीं पायी है कि यह हत्या या आत्महत्या की घटना है. मरने वालों में परिवार के मुखिया महावीर अग्रवाल, पत्नी किरण अग्रवाल, उनका बेटा नरेश माहेश्वरी, बहू प्रीति अग्रवाल, पोता अमन अग्रवाल और पोती अन्वी उर्फ परी अग्रवाल का था. इनमें महावीर अग्रवाल का शव बेडरूम के पंखे से लटका मिला, वहीं नरेश अग्रवाल का शव अपार्टमेंट के बाहर नीचे गिरा पड़ा था, जिसका हाथ व पैर टूटा हुआ था. किरण अग्रवाल का गला काट कर बिस्तर पर शव पड़ा था. प्रीति अग्रवाल का शव पंखे से लटका मिला. वहीं पोता अमन को भी फांसी लगाया गया था. पोती अन्वी का शव सोफा से बरामद किया गया था.
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दो साल से सीआईडी कर रही मामले की तहकीकात
दो साल तक हजारीबाग पुलिस तहकीकात पूरी नहीं कर पायी, तो यह पूरा मामला सीआईडी को दे दिया गया था. दो साल से सीआईडी पूरे मामले की तहकीकात कर रही है.