Hazaribagh: आईसेक्ट विश्वविद्यालय के तरबा-खरबा स्थित मुख्य कैंपस सभागार में मृदा संरक्षण पर सेमिनार हुआ. विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ पीके नायक की अध्यक्षता में सेमिनार आयोजित हुआ. विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ पीके नायक, कुलसचिव डॉ मुनीष गोविंद, डीन एडमिन डॉ एसआर रथ, सीएस एंड आईटी डीन डॉ बिनोद कुमार, कृषि विभाग डीन डॉ अरविंद कुमार समेत अन्य के हाथों दीप प्रज्ज्वलित कर सेमिनार की शुरुआत हुई. सभी अतिथियों का कार्यक्रम में स्वागत करते हुए कृषि विभाग के डीन डॉ अरविंद कुमार ने मृदा संरक्षण को लेकर कई महत्वपूर्ण बातें कहीं. उन्होंने जैविक खेती को अहम बताया और इसे बढ़ावा देने की आवश्यकता बताई.
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जैविक खेती को बढ़ावा देने पर दिया गया जोर
विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ मुनीष गोविंद ने कृषि के क्षेत्र अपनाई जा रही नई तकनीकों पर बल दिया. कहा कि मिट्टी समस्त जीव के लिए अहम है, इसलिए मृदा संरक्षण की महत्ता अधिक बढ़ जाती है. उन्होंने कहा कि जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाना तो जरूरी है, साथ ही कृषि के नए तकनीकों को अपनाया जाना भी जरूरी है. उन्होंने हाइड्रोपोनिक तकनीक से भी खेती करने की सलाह लोगों को दी. कहा कि फायदे के इस दौड़ में हमने मिट्टी की सेहत खराब कर दी है, जिसपर ध्यान देना हम सभी का दायित्व है. सेमिनार की अध्यक्षता कर रहे विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ पीके नायक ने कहा, जमीन की ऊपरी परत जिसे हम मृदा कहते हैं, इसका निर्माण करने में प्रकृति को काफी वक्त लगता है. इसकी सेहत का ख्याल रखना जरूरी है. कहा कि जिस तरह हमलोग अंधाधुंध रासायनिक खादों और दवाइयों का उपयोग कर रहे हैं. ऐसे में समय-समय पर मिट्टी परीक्षण कराकर मिट्टी की सेहत को जानना किसान भाइयों के लिए बेहद जरूरी है, ताकि अच्छी उपज के साथ-साथ मिट्टी की सेहत भी बरकरार रहे.
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