Hazaribagh: पुलिस ने जो कहानी बताई, उसमें रजिस्ट्री ऑफिस के एक कर्मचारी की संलिप्तता की बात कही जा रही है. हालांकि रजिस्ट्री ऑफिस के कर्मचारी आनंद को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है. रजिस्ट्री ऑफिस के गिरफ्तार कर्मचारी आनंद ने अपने साथियों के साथ मिलकर RTI एक्टिविस्ट राजेश मिश्रा के डिक्की में मादक पदार्थ रखा और पुलिस को ख]बर देकर गिरफ्तार करवा दिया. लेकिन जिस तरह हर अपराध का एक प्रमुख कारण होता है या जिस कार्य के लिए अपराध किया जाता है, वह इस पूरे मामले में अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया.
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शक की सुई रजिस्ट्रार की ओर
यह तो स्पष्ट है आरटीआई एक्टिविस्ट रजिस्ट्री ऑफिस से कई सूचनाएं मांग चुके थे. जिसमें से एक सूचना विभागीय स्तर पर तैयार थी. और उसे राजेश मिश्रा को देने की तैयारी में थे. लेकिन मौके पर उसे नहीं दिया गया. जिसके बाद से राजेश मिश्रा रजिस्ट्री ऑफिस के पदाधिकारी और कर्मचारी से इस संबंध में बात भी कर चुके थे. सूत्र बताते हैं रजिस्ट्री ऑफिस के रजिस्ट्रार के कहने पर RTI के जवाब में कागजात रोके गए थे. सूत्रों की माने तो शक की सुई सीधे तौर पर रजिस्ट्रार की ओर घूमती है. क्योंकि जो RTI के तहत जवाब मांगे गए थे, उनसे रजिस्ट्रार को मुश्किल हो सकती थी.
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किसके आदेश पर हुआ काम ?
यहां सवाल खड़ा हो रहा है कि, मामले में जब बड़े अधिकारी का आदेश नहीं हुआ है, तो एक छोटा कर्मचारी आनंद आखिर इस मामले में संलिप्त क्यों होगा ? आरटीआई के किसी भी सवाल के जवाब से जब कर्मियों पर कोई आंच नहीं आनी थी. तो फिर रजिस्ट्री ऑफिस का कर्मचारी इस मामले में संलिप्त क्यों हुआ ? क्या इस पर अपने बड़े अधिकारी यानी रजिस्ट्रार वैभव मणि त्रिपाठी का दबाव था ?
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रजिस्ट्रार से उपायुक्त की बात !
वहीं दूसरी ओर ख़बर है कि, रविवार के दिन भी उपायुक्त आदित्य कुमार रंजन ने रजिस्ट्रार को अपने आवास पर बुलाया था. बताया जा रहा है कि वहां भी रजिस्ट्रार से इस मामले पर जवाब तलब किया गया. हालांकि इस पूरे मामले में रजिस्ट्रार ने अपनी संलिप्तता से इनकार किया है. उन्होंने कहा कि इसमें उनका कोई लेना-देना नहीं है.
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मुख्य साजिशकर्ता का पर्दाफाश कब ?
हजारीबाग में ऐसे कई मामले हैं, जिनका पूरी तरह से खुलासा नहीं हुआ है. कुछ खुलासों के बाद ही मामले को बंद कर दिया गया. आरटीआई एक्टिविस्ट राजेश मिश्रा का भी मामला कुछ ऐसा ही है. इस पूरी कहानी में मुख्य साजिशकर्ता कौन है ? किसके निर्देश पर यह सब काम हुआ है ? यह सामने आना अभी बाकी है. साथ ही साथ मादक पदार्थ लाने वाला कौन व्यक्ति था और यह कहां से आया है ? इसका भी अब तक खुलासा नहीं हुआ है. आशंका जताई जा रही है कि दूसरे मामलों की तरह कहीं यह मामला भी ठंडे बस्ते में ना चला जाए. और मुख्य साजिशकर्ता फिर बेनकाब ना हो. इसके लिए जिले के उपायुक्त और पुलिस अधीक्षक का सक्रिय रहना जरूरी है.
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