Hazaribagh : हजारीबाग जिला मुख्यालय से करीब 26 किमी और इचाक प्रखंड से 16 किमी दूर डाड़ीघाघर के फूफांदी कालाद्वार सीमाना से गरडीह तक ग्रामीण श्रमदान से सात किमी लंबी सड़क बनाने में जुटे हैं. आवागमन से परेशान ग्रामीणों ने हाथों में कुदाल, फावड़ा और कड़ाही उठा लिया है. ग्रामीण खुद मिट्टी खोद कर ला रहे हैं और सड़क को समतल कर रहे हैं. श्रमदान में महिलाएं भी खासा सहयोग कर रही हैं. (पढ़ें, देवघर : गृह मंत्री अमित शाह ने महारैली में भरी हुंकार, हेमंत सोरेन पर बरसे)
शिलान्यास के बाद ठप पड़ा सड़क निर्माण का काम
समाजसेवी रमेश कुमार हेम्ब्रोम ने बताया कि यहां साल 2016 में तत्कालीन सांसद रवींद्र कुमार राय और विधायक जानकी प्रसाद यादव ने पथ का शिलान्यास किया था. उसके बाद सड़क के लिए एक गिट्टी तक नहीं गिरी. दरअसल वह वनक्षेत्र की भूमि निकल गयी और विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) नहीं मिला. यह सड़क ग्रामीण विकास विशेष प्रमंडल (आरइओ) से बनना था. वन विभाग से एनओसी लेने का प्रयास भी नहीं किया गया. इस बारे में ग्रामीणों ने प्रशासन से लेकर सरकार तक को जानकारी दी. ग्रामीण विकास विशेष प्रमंडल की ओर से प्राक्कलन भी बन कर जिला योजना को दिया गया, लेकिन उस पर किसी प्रकार की पहल नहीं की गयी.
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आठ गांव को जोड़ती है यह सड़क
मुखिया नंदकिशोर कुमार ने बताया कि सात किमी की यह सड़क पदमा और बरही में एनएच से जुड़ती है और आठ गांव को जोड़ती है. हर दिन सैकड़ों लोगों की आवाजाही इस रास्ते से होती है. पक्की सड़क नहीं रहने से लोगों को आने-जाने में काफी परेशानी होती है. इस गांव में एंबुलेंस तक नहीं आ पाती है. कोई बीमार पड़ता है, तो खटोले से लोगों को अस्पताल ले जाना पड़ता है. बरसात के दिनों में काफी फजीहत होती है.
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प्रशासन से सहयोग की अपेक्षा
उप मुखिया मालो देवी, मानव विकास के कार्यकर्ता मोहन सोरेन, लालजी सोरेन, महादेव हेमरोम, बासुदेव सोरेन, भरत मेहता समेत कई ग्रामीणों ने बताया कि अब भी प्रशासन का ध्यान टूटे, तो उनसे कुछ मदद की आस रखे हैं. ग्रामीणों ने कहा कि नेता लोग सिर्फ वोट मांगने आते हैं. काम की बारी आती है, तो क्षेत्र से गायब हो जाते हैं.
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