Hazaribagh: आज हज़ारीबाग की राजनीति में एक नई सुगबुगाहट हुई है, मामला था बिहार के भूतपूर्व मुख्यमंत्री श्री कृष्ण वल्लभ सहाय की 122वीं जयंती (31दिसम्बर2020) के अवसर पर होने वाले कार्यक्रम के लिए संवाददाता सम्मेलन का. इस दौरान प्रेस वार्ता में मंच पर जहां कांग्रेस और बीजेपी के नेता और कार्यकर्ता एक साथ थे वहीं स्व. केबी सहाय के पौत्र का ये कहना कि वे अब यहां के लोगों के लिए कुछ करेंगे और आने वाले दिनों में सामाजिक कार्यों में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेंगे, कुछ अलग लगा.
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हज़ारीबाग में राजपरिवार और केबी सहाय थे राजनीतिक धुर विरोधी
हज़ारीबाग की राजनीति के दो धुर विरोधी में एक रामगढ़ स्टेट या हज़ारीबाग राज परिवार था. दूसरी तरफ स्व. केबी सहाय थे. इन दोनो के बीच के राजनीतिक द्वन्द के किस्से आज भी हज़ारीबाग के लोगों की जुबान पर रहते हैं. इसी बीच हज़ारीबाग के राजनीति गलियारे में इन दोनों परिवारों के लोग निजी या अन्य कारणों से राजनीतिक अखाड़े से दूर होते गए. दोनों परिवारों के राजनीतिक खालीपन में रहने के दशकों बाद राजपरिवार से धमाकेदार इंट्री सौरभ नारायण सिंह ने मारी और कांग्रेस के टिकट पर विधायक बन गए. लोगों के जेहन में बराबर ये सवाल रहता था कि क्या स्व. केबी सहाय के परिवार से कोई राजनीतिक पारी खेलने उतरेगा.
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लगातार.इन ने ले लिया मन का भेद
इसी सवाल को आज लगातार.इन ने केबी सहाय के पौत्र आशीष सहाय से टटोल लिया और जवाब भी वही मिला जिसकी उम्मीद लगातार.इन को थी. सधे कदमों से आशीष राजनीति की गलियारों में आना चाहते हैं. पेशे से व्यवसायी आशीष पहले अपने दादा के 122 वीं जयंती को सफलतापूर्वक सम्पन्न करेंगे फिर लोगों से मिलेंगे और अगर आवाम ने उन्हें राजनीति में आने को प्रेरित किया तो वो राजनीति में आने से चूकेंगे भी नहीं. हज़ारीबाग के राजनीति में ये नया और प्रतीक्षित करवट है. अब यहां की राजनीति से बिहार की सत्ता में शीर्ष तक पहुंचने वाले अपने स्व. दादा केबी सहाय की तरह आशीष सहाय कितना सफर तय करेंगे यह वक्त निर्धारित करेगा.
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