Ranchi: झारखंड हाईकोर्ट के न्यायधीश जस्टिस के पी देव ने रातू अंचल से जुड़े एक ज़मीन के जमाबंदी मामले पर सुनवाई करते हुए रातु सीओ की कार्यशैली पर गम्भीर टिप्पणी की है. हाईकोर्ट ने मौखिक रूप से कहा कि क्या आपको शर्म नहीं आती, आपने अपने बच्चों को सेटल कर दिया. ACB से आपकी संपत्ति की जांच कराये क्या? इस मामले की सुनवाई के दौरान रांची DC छवि रंजन भी कोर्ट के समक्ष उपस्थित थे.
तबादले के लिए विभाग की मंजूरी जरूरी है
कोर्ट ने अधिकारियों से जानना चाहा कि अंचल के कर्मचारी कितने वर्षों से वहां जमे हुए हैं और उनकी बदली क्यों नहीं हो रही है. जिसपर डीसी ने कोर्ट को बताया कि तबादले के लिए विभाग की मंज़ूरी ज़रूरी है. जिसके बाद अदालत ने कहा अपर मुख्य सचिव अरुण कुमार सिंह को बुलाया जाये,क्या नियम क़ानून है देखते है. जिसके बाद अदालत को जानकारी दी गई कि वो दिल्ली के लिए निकल चुके है.
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पूरा मामला रातू अंचल में स्थित एक भूखंड की जमाबंदी का है
दरअसल यह पूरा मामला रातू अंचल में स्थित एक भूखंड की जमाबंदी का है. जिसके लिए 2020 में आवेदन दिया गया था.याचिकाकर्ता रोहित आनंद ने जमाबंदी में देरी के बाद हाईकोर्ट में गुहार लगाते हुए रिट याचिका दाखिल की थी. याचिका की सुनवाई करते हुए अदालत ने रातू सीओ प्रदीप कुमार को जमकर फटकार लगाई. अदालत ने उनसे पूछा कि एक महीने में कितना वेतन मिलता है? जिसके जवाब में रातू सीओ प्रदीप कुमार ने कोर्ट को बताया कि इन्हें एक लाख रुपए मिलता है. जिसके बाद कोर्ट ने पूछा कि आपके कार्यालय में कितने हल्का कर्मचारी है? इस सवाल का जवाब देने में सीओ असमर्थ नज़र आए.
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