Dhanbad : धनबाद (Dhanbad) जिले के सरकारी अस्पतालों में दिल के मरीज का इलाज नहीं हो सकता है. शहीद निर्मल महतो मेडिकल कॉलेज अस्पताल (एसएनएमएमसीएच) के आंकड़ों के अनुसार यहां हर माह सौ से अधिक हृदयरोगी इलाज के लिए आते हैं. परंतु पर्याप्त इंतजाम नहीं होने के कारण मरीज को रिम्स रांची रेफर कर दिया जाता है. एसएनएमएमसीएच में हृदयाघात का पता लगाने के लिए ट्रॉपेनिन आई व एंजियोग्राफी टेस्ट तक की व्यवस्था नहीं हैं. अस्पताल में हार्ट स्पेशलिस्ट डॉक्टर भी नहीं है. जेनरल फिजिशियन ही ऐसे मरीजों को देखते हैं, प्राथमिक उपचार करते हैं, फिर परिजनों को सुझाव देकर रेफर कर देते हैं. सदर अस्पताल की यही हालत है. यहां भी न कॉर्डियक यूनिट है और न ही हृदय रोग विशेषज्ञ.
एसएनएमएमसीएच में बिल्डिंग बना, डॉक्टर ही नहीं
हालांकि कुछ निजी अस्पतालों में इलाज तो हो सकता है, मगर खर्च सभी के वश की बात नहीं. एशियन जालान अस्पताल के मो ताजुद्दीन ने बताया कि हार्ट पेसेंट के इलाज के लिए लिए न्यूनतम 1.5 लाख से पैकेज शुरू होता है. पैकेज में एंजियोग्राफी, एंजियोप्लास्टि, कैथ लैब चार्ज, स्टेंट आदि शामिल होते हैं. असर्फी अस्पताल में भी खर्च लगभग यही है. एसएनएमएमसीएच में मार्च 2017 में 14 करोड़ रुपये की लागत से हृदय रोगियों के लिए कैथ लैब बनाई गई. इसके लिए बिल्डिंग तो बन गया, मगर इलाज करने वाले डॉक्टर नहीं हैं. फिलहाल बिल्डिंग डॉक्टरों की बाट जोह रहा है.
युवाओं में तेजी से बढ़ रहा हृदय रोग
डॉक्टर शादाब अहमद ने बताया कि धनबाद में कम उम्र के युवाओं में हृदय रोग तेजी से बढ़ रहा है. इनमें धूम्रपान करने वालों को सबसे ज्यादा खतरा रहता है. अधिक केलोस्ट्रोल, मोटापा और तनाव में रहने वाले व्यक्ति भी हृदय रोग के शिकार हो रहे हैं. जरूरी है कि इन सभी चीजों से बचा जाए. शारीरिक और मानसिक रूप से सकारात्मक माहौल में रहें. संतुलित खाना खाएं और नियमित व्यायाम करें.
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