Ranchi: राजधानी बनने के बाद रांची में भू-माफियाओं की नजर सामुदायिक उपयोग वाली जमीन पर भी है. सामुदायिक भूमि को बेचने में भू-माफिया लगे हुए हैं. ऐसा ही एक मामला रांची के हेहल अंचल से सामने आया है. जहां जमीदार या राजाओं के द्वारा दान दिये गये जमीन को माफिया बेचने में लगे हैं. यह भूमि हेहल अंचल के खाता नंबर 52 से जुड़ी हुई है. इस भूमि को राजा के परिवार के द्वारा हेहल ग्राम वासियों को खेल-कूद मैदान के इस्तेमाल के लिए दिया गया था. जिसमें कहा गया था कि खाता संख्या 52 का खेसरा नंबर 1139 की जमीन से उनके परिवार का अधिकार नहीं होगा.
भू-माफिया बेच रहे दान की जमीन
प्राप्त सूचना के अनुसार, दान की गई भूमि के रिकॉर्ड से छेड़छाड़ कर भू-माफिया इस जमीन की बिक्री में लगे हैं. सार्वजनिक उपयोग की भूमि पर भू-माफियाओं की नजर है. इस भूमि का हेहल मौजा के ग्रामीण खेल मैदान के रूप में कई दशक से उपयोग करते रहे हैं. 1950 में बिहार भूमि सुधार अधिनियम आने के बाद कलेक्टर के समक्ष जमीदार या राजा को अपनी संपत्ति का विवरण प्रस्तुत करना था. तत्कालीन राजा या जमीदारों ने उस दौरान यह कार्य किये. कलेक्टर की ओर से उसमें से कुछ भूमि राजा या जमीदारों के नाम पर लगान निर्धारण किया गया था. शेष भूमि का लगान निर्धारण नहीं होने के कारण भूमि का स्टेटस कानूनन सरकारी हो जाता है. इसमें से कुछ भूमि को जमींदार या राजाओं ने समुदाय को भी दान किया था. अब वैसी भूमि को भू- माफिया बेचने में लगे हैं. जिसका उदाहरण हेहल मौजा का खाता सख्या 52 है. इस भूमि की जमाबंदी 1962-63 के समय का दिखाकर फर्जी दस्तावेज तैयार कर रहे हैं. इस कार्य में प्रशासन की सलिप्तता से इनकार नहीं किया जा सकता है.
क्या कहते हैं पंडरा ओपी प्रभारी
इस मामले में पंडरा ओपी प्रभारी से बात करने पर पहले तो उन्होंने कहा हमें इसकी जानकारी नहीं है. फिर उन्होंने कहा की इस जमीन पर किसी ने शिकायत नहीं की है. यह जमीन उषा रानी के द्वारा बेच दी गई है.
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