वनाधिकार कानून 2006 के इतर सरकार 6 नवंबर से शुरू करने जा रही नया अभियान
आदिवासी और वनों पर निर्भर सभी ग्रामीणों को मिलेगा निजी व सामुदायिक वनों का पट्टा
Kaushal Anand
Ranchi : झारखंड के जंगलों में निवास करने वाले आदिवासियों एवं अन्य गैर आदिवासी वर्गों को अब नए सिरे से हेमंत सरकार उनका अधिकार देने जा रही है. राज्य सरकार की एक और महत्वाकांक्षी योजना अबुआ बीर दिशोम अभियान का शुभारंभ 6 नवंबर से किया जाएगा. सीएम हेमंत सोरेन के निर्देश पर पहली बार व्यापक अभियान के तहत आदिवासियों और वनों पर निर्भर रहने वाले अन्य सभी लोगों को व्यक्तिगत और सामुदायिक वन संसाधन वनाधिकार पट्टा मुहैया कराया जाएगा. मालूम हो कि महात्मा गांधी की जयंती पर राज्य की 30 हजार से अधिक ग्राम सभाओं ने भाग लेकर जल, जंगल और जमीन तथा इसके संसाधनों की रक्षा के लिए समर्पित और संगठित प्रयास करने के लिए शपथ ली थी.
इन्हें मिलेगा वनपट्टा, प्रथम चरण दिसंबर तक चलेगा
वन अधिकार एक्ट, 2006 के तहत मिले अधिकारों का उपयोग करते हुए बीते 3 से 18 अक्टूबर तक ग्राम, अनुमंडल एवं जिलास्तर पर वनाधिकार समिति का गठन/पुनर्गठन किया गया. ये समिति वनों पर निर्भर लोगों और समुदायों को वनाधिकार पट्टा दिये जाने के लिए उनके दावों पर नियमानुसार अनुशंसा करेगी. साथ ही, अबुआ बीर दिशोम आभियान के सफल क्रियान्वयन हेतु मोबाइल एप्लीकेशन एवं वेबसाइट भी तैयार की गयी है. जिसके जरिए आदिवासी और वनों पर निर्भर रहने वाले लोगों को वनाधिकार पट्टा दिया जाएगा. वन अधिकार समिति द्वारा चिन्हित लोगों को पट्टा देने के लिए सरकार प्रथम चरण में दिसंबर तक यह अभियान चलाएगी.
अधिक से अधिक लोगों को लाभ देने का लक्ष्य
अबुआ बीर दिशोम अभियान की शुरुआत 6 नवंबर को एक राज्यस्तरीय प्रशिक्षण सह कार्यशाला से होगी. इसके तहत झारखंड राज्य के सभी जिलों के उपायुक्तों और वन प्रमंडल पदाधिकारियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा. साथ ही, गांवों से लेकर जिलास्तर पर वनाधिकार समिति के सदस्यों को अभियान की सफलता के लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा. इस अभियान का लाभ अधिक से अधिक लोगों को मिले. इसके लिए विभिन्न माध्यमों से प्रचार-प्रसार को गति भी दी जाएगी.
वन पट्टा देने में झारखंड रहा है फिसड्डी
बता दें कि करीब 18 साल पहले 2006 में तत्कालीन यूपीए सरकार राज्य में वनाधिकार कानून लाई थी. मगर इतने सालों में झारखंड वन पट्टा देने के मामले में फिसड्डी ही साबित हुआ. अगर हेमंत सोरेन सरकार की बात करें, तो वर्ष 2019 से लेकर अब तक केवल 1271 लोगों को ही वन पट्टा मिला है. अभी भी 1,01,812 वन पट्टा देने के आवेदन लंबित हैं. अकेले गुमला जिले में 58 हजार से अधिक आवेदन लंबित हैं.
रघुवर सरकार में स्थिति और रही खराब
अगर पिछली सरकार की बात करें तो तत्कालीन रघुवर सरकार ने अगस्त 2016 तक साढे तीन लाख आदिवासी परिवारों एवं अन्य वन निवासियों के बीच वन पट्टा देने का लक्ष्य रखा था. मगर वह पूरा नहीं हो सका.
वन और वन पट्टों से जुड़े कुछ फैक्ट
- सीएफआरएलए रिपोर्ट के अनुसार राज्य में 18 लाख 63 हजार 737 हेक्टेयर (4605394.423 एकड़) वैसी वन भूमि है, जिसपर वन-अधिकार कानून का दावा बनता है. लेकिन राज्य के गठन को हुए 23 साल के बाद भी अब तक एक लाख लोगों को भी वन पट्टा नहीं मिल पाया है.
- झारखंड में 86 लाख आदिवासियों की आबादी का 80 फीसदी हिस्सा परोक्ष-अपरोक्ष रूप से जंगलों पर आश्रित है. करीब 10 लाख ऐसे आदिवासी परिवार हैं, जो वन-अधिकार कानून के तहत वन पट्टे के लाभार्थी हैं.
- 2011 की जनगणना की मानें, तो राज्य में आदिवासियों की संख्या 26-27 प्रतिशत है, जो कि इधर बीते 10 सालों में बढ़ी ही है. वहीं सूबे में जंगलों का प्रतिशत भी बढ़ा है. फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया 2017-19 की रिपोर्ट में झारखंड में 0.25 प्रतिशत जंगलों का प्रतिशत 2015-17 की तुलना में बढ़ा है.
- झारखंड का भौगोलिक क्षेत्र 79,716 वर्ग किमी है, जिसमें वन क्षेत्र 23,611.41 वर्ग किमी है और कुल क्षेत्रफल का 29.62 प्रतिशत राज्य में जंगल है.
- झारखंड वन अधिकार मंच के सर्वे के अनुसार राज्य के 14 हजार गांव ऐसे हैं, जहां एफआरए के तहत लोगों का दावा बनता है. सिर्फ एसटी, एससी को मिला लेंगे तो ये 50 लाख हैं. मगर अब तक केवल 60 हजार ही लोगों को वन पट्टा मिला है. झारखंड जैसे स्टेट में, ट्राइबल का जीवन जंगलों पर निर्भर है. जंगल उनकी आजीविका का मुख्य स्त्रोत है.
- वन अधिकार कानून के पूरे देश में अप्रैल 2018 तक 1 लाख 9 हजार 30 (105363 व्यक्तिगत, 3667 समुदायिक) वन पट्टा के आवेदन प्राप्त हुए. केवल झारखंड के तकरीबन 28 हजार आवेदन रद्द हुए. शेष आवेदनों पर झारखंड एससी-एसटी, अल्पसंख्यक एवं पिछड़ा समाज कल्याण विभाग की मानें तो दिसंबर 2019 तक करीब 61 हजार लोगों को ही वन अधिकार कानून के तहत वन पट्टा दिया गया है.
इसे भी पढ़ें – पलामू : टीएसपीसी के टॉप कमांडर नगीना को कचौड़ी-जिलेवी पहुंचाने जा रहा नक्सली धराया, उगले कई राज