Ranchi: सदर अस्पताल में पहली बार बुधवार को अप्लास्टिक एनिमिया से पीड़ित 3 रोगियों को उपचार के बाद डिस्चार्ज कर घर भेजा गया. इसी के साथ सदर अस्पताल हेमेटोलॉजी विभाग शुरू करने वाला न सिर्फ झारखंड का, बल्कि देश भर का पहला जिला अस्पताल बन गया. जबकि सदर अस्पताल में सेवा दे रहे हेमेटाेलॉजिस्ट डॉ अभिषेक रंजन झारखंड के एकलौते आंकोहिमेटोलॉजिस्ट हैं. सदर अस्पताल के इस विभाग में रक्त संबंधित सभी तरह की गंभीर बीमारियों का उपचार संभव होगा. सबसे जटिल अप्लास्टिक एनिमिया से लेकर, ब्लड कैंसर, लिंफोमास, थैलीसिमिया, सिकल-सेल-एनिमिया, प्लेटलेट विकार आदि का इलाज भी होगा. इन बीमारियों का इलाज अब तक राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स में भी नहीं है.
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अप्लास्टिक एनिमिया की हुई थी पुष्टि
बुधवार को उपचार के बाद जिन तीन रोगियों को छुट्टी दी गई, उनमें 60 वर्षीय उर्मिला देवी, 44 साल की मनवा देवी और 28 साल की मीना देवी शामिल है. हेमेटोलॉजिस्ट डॉ.अभिषेक रंजन ने बताया कि तीनों ही मरीजों को गंभीर हालत में अस्पताल लाया गया था. जांच करने पर गंभीर पैनसाइटोपीनिया का पता चला. मरीजों का डब्लूबीसी काउंट और न्यूट्रोफिल की संख्या 300 से कम थी. प्लेटलेट काउंट भी 20 हजार से कम था. साथ ही हिमोग्लोबिन भी काफी कम था. इसके बाद बोनमेरो टेस्ट और बायोप्सी के बाद इनमें अप्लास्टिक एनिमिया की पुष्टि हुई थी.
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प्राइवेट में 15 से 20 लाख का खर्च, सदर में आयुष्मान से इलाज पूरी तरह निशुल्क
सिविल सर्जन डॉ. विनोद कुमार ने बताया कि इस गंभीर बीमारी का इलाज देश भर में सिर्फ 7 से 8 चिकित्सा संस्थानों में ही उपलब्ध है. जबकि सदर अस्पताल रांची देश का पहला सरकारी जिला अस्पताल बन गया है जहां इसकी शुरुआत हुई है. वहीं, देश भर में पहला अस्पताल जहां आयुष्मान योजना के तहत इसका निशुल्क उपचार होगा. सिविल सर्जन के अनुसार, प्राइवेट अस्पतालों में उपचार के लिए रोगियों को 15 से 20 लाख तक खर्च करना पड़ता है. वहीं, एम्स दिल्ली में भी इलाज के लिए 12 से 15 लाख खर्च करना पड़ता है.