Ranchi: रांची नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी को हर साल फंड नहीं देने के सरकार के शपथपत्र पर कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की है. झारखंड हाईकोर्ट ने इसपर नाराजगी जाहिर करते हुए शपथपत्र को खारिज कर दिया. मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत ने मौखिक टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा है कि शपथपत्र से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि सरकार की मंशा कोर्ट का अपमान करने की है. अदालत ने अब सरकार को फिर से नया शपथपत्र पांच फरवरी तक दाखिल करने का निर्देश दिया है.
अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा कि कोर्ट लगातार सरकार को इस यूनिवर्सिटी को चलाने के लिए फंड देने को कह रही है. लेकिन सरकार इस महत्वपूर्ण संस्थान के प्रति उदासीन है. आज का यह शपथपत्र देखने से लगता है कि सरकार अदालत का अपमान कर रही है. कोर्ट ने कहा कि सरकार को अपना रवैया बदलना होगा और इस महत्वपूर्ण संस्थान को चलाने की गंभीरता दिखानी होगी.
इसे भी पढ़ें – मिलिये दुनिया की सबसे कंजूस करोड़पति से, जो खाती हैं बिल्ली का खाना
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये मौजूद रहे मुख्य सचिव
बता दें कि झारखंड हाइकोर्ट ने सरकार को नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी को फंड देने में गंभीरता दिखाये, इसके लिए प्रयास भी करें. लेकिन सरकार का रुख अभी तक सकारात्मक नहीं दिख रहा है. चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत ने शुक्रवार को बार एसोसिएसन की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी मौखिक रूप से की है.
सुनवाई के दौरान राज्य के मुख्य सचिव भी अदालत में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये मौजूद रहे. रांची के नगड़ी स्थित एनयूएसआरएल को लेकर काफी संजीदा है. और लगातार इस मामले में न सिर्फ नज़र बनाये हुए है बल्कि कोर्ट गंभीरता से इस मामले की सुनवाई कर रहा है. अब अदालत ने 2 सप्ताह में राज्य सरकार से जवाब मांगा है.
इसे भी पढ़ें – रांची निबंधन कार्यालय में जमीन से संबंधित दस्तावेज से छेड़छाड़ मामले की CID करेगी जांच