Ranchi : झारखंड हाइकोर्ट ने सीबीआई द्वारा राज्य के विधायक (MLA) और सांसद (MP) से जुड़े केस में निष्पादन की स्थिति पर राज्य सरकार के जवाब पर असंतुष्टि जाहिर की है. दरअसल राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को मंगलवार को यह बताया गया कि पिछले दो वर्षों में एमपी-एमएलए से जुड़े किसी केस का निष्पादन नहीं हुआ है. अदालत ने ED और सीबीआई को यह निर्देश दिया है कि राज्य के एमपी और एमएलए के विरुद्ध कितने मामले लंबित हैं और उनकी स्थिति क्या है. पिछली सुनवाई के दौरान अदालत ने सीबीआई को यह बताने का निर्देश दिया था कि राज्य के एमपी-एमएलए के खिलाफ चल रहे मुकदमों में ट्रायल की स्थिति क्या है और जिन मामलों में ट्रायल चल रहा है उसमें देर क्यों हो रही है. इसके साथ ही अदालत ने यह भी बताने को कहा है कि अब तक राज्य के कितने एमएलए और एमपी के विरुद्ध ट्रायल पूरा हो चुका है और कितनों के विरुद्ध ट्रायल बचा हुआ है. कोर्ट के निर्देश पर जवाब दाखिल किया गया था, लेकिन अदालत मंगलवार को पेश हुए जवाब से असंतुष्ट दिखा. दरअसल कुछ वर्ष पूर्व सुप्रीम कोर्ट ने देश के सभी हाइकोर्ट को राजनेताओं के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों के त्वरित निष्पादन के दिशा-निर्देश दिये थे. सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश के आलोक में झारखंड हाइकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया है. जिसे जनहित याचिका में तब्दील कर सुनवाई की जा रही है.
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