Ranchi: जैप- 10 में महिला आरक्षियों को प्रोन्नति नहीं दिए जाने के मामले में डीएसपी रैंक के अधिकारी के शपथपत्र दाखिल किए जाने पर गुरुवार को हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई है. जस्टिस एसके द्विवेदी की अदालत ने आइजी स्तर के एक अधिकारी को शपथपत्र दाखिल कर यह बताने को कहा गया कि जैप- 10 की महिला आरक्षी क्लोज कैडर की हैं, या नहीं और इन्हें पदोन्नति क्यों नहीं दी जा रही है. चार सप्ताह बाद आइजी स्तर के पदाधिकारी को शपथपत्र दाखिल कर जानकारी देने का निर्देश झारखंड हाईकोर्ट ने दिया है.
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महिला आरक्षियों ने दायर की थी याचिका
जैप- 10 की महिला आरक्षियों की ओर से दाखिल याचिका में प्रार्थियों की ओर से पक्ष रखते हुए अधिवक्ता सुभाशीष रसिक सोरेन ने अदालत को बताया कि महिला पुलिसकर्मियों की नियुक्ति वर्ष 2004 में जैप-10 की महिला बटालियन हुई में है, लेकिन अभी तक उन्हें कोई प्रोन्नति नहीं दी गई है. जिस समय नियुक्ति हुई उस समय पुरुष और महिला दोनों की वरीयता सूची एक साथ तैयार की गयी थी. एडीजी के आदेश पर 2017 में पुरुष व महिला पुलिसकर्मियों की वरीयता सूची को अलग-अलग कर दिया गया. और महिला कांस्टेबल को क्लोज कैडर में रख दिया गया.
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प्रार्थियों ने बताया नियम का उल्लंघन
प्रार्थियों के अधिवक्ता सुभाशीष रसिक सोरेन ने बताया कि यह नियमों का उल्लंघन है. किस नियमावली के तहत महिला आरक्षियों को क्लोज कैडर में रखा गया है. यह नहीं बताया गया है वहीं जैप – 10 की कमांडेंट ने भी एक आदेश में कहा है कि महिलाओं को क्लोज कैडर में रखे जाने का कोई कानून नहीं है. सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से जैप 10 के एक डीएसपी की ओर से शपथपत्र दाखिल कर बताया गया कि यह पद क्लोज कैडर का है. इस पर कोर्ट ने नाराजगी जतायी और कहा कि डीएसपी स्तर के अधिकारी को इस मामले में शपथपत्र दाखिल नहीं करना चाहिए. अदालत ने आइजी स्तर के अधिकारी को शपथपत्र दाखिल करने का निर्देश दिया. और सुनवाई चार सप्ताह बाद निर्धारित की है.