Ranchi : सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति मामले में सोमवार को झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. सुनवाई करते हुए जस्टिस डॉ. एसएन पाठक ने कड़ी टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा कि राज्य के 20 साल हो गये, लेकिन आज भी राज्य के महत्वपूर्ण पदों पर संविदा के जरिए ही बहाली की जा रही है. जो सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के विभिन्न आदेशों के खिलाफ है.
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राज्य के सभी विभागों की स्थिति ऐसी ही
कोर्ट ने कहा कि सिर्फ शिक्षा विभाग की ही स्थिति ऐसी नहीं है, बल्कि राज्य के कई अन्य विभागों में भी यही हो रहा है. कोर्ट ने सरकार और सभी विश्वविद्यालयों को प्रतिवादी बनाते हुए पूछा है कि सहायक प्रोफेसर के कितने पद रिक्त हैं और कितने पद सृजित हैं. साथी ही अभी कितने पद पर लोग काम कर रहे है. इन सभी की जानकारी 15 दिसंबर को होने वाली अगली सुनवाई के दौरान में पेश करे.
बता दें कि सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति मामले में ब्रह्मानंद साहू सहित अन्य 64 लोगों ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है.याचिकार्ता के अधिवक्ता चंचल जैन ने बताया कि वर्ष 2017 से सभी लोग सहायक प्रोफेसर के पद पर संविदा के जरिए कार्यरत हैं. मार्च 2021 में राज्य सरकार ने एक विज्ञापन जारी कर फिर से संविदा के जरिए ही सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू कर दी है. जिसपर रोक लगाने के लिए याचिका दायर की गई है.
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