Ranchi : राज्य की एक ऐतिहासिक धरोहर में से एक रांची पहाड़ी मंदिर का अस्तित्व एक बार फिर संकट में है. पहले ही मंदिर के ऊपरी हिस्से में राष्ट्रीय झंडा लगाने के क्रम में लगे भारी-भरकम पोल ने मंदिर को नुकसान पहुंचाया.अब मंदिर के नीचे पहाड़ों को काट कर एक जलमीनार बनाया जा रहा है. कंस्ट्रक्शन कंपनी एलएनटी को जलमीनार बनाने का जिम्मा मिला है. इसके लिए मंदिर के नीचे के इलाके में 25 से अधिक पेड़ काटे गये हैं.
16 लाख लीटर क्षमता का बन रहा जलमीनार
करीब 16 लाख लीटर पानी क्षमता वाले इस जलमीनार का काम शुरू हो गया है. अभी करीब 15 फीट गड्डा खोद कर मीनार का बेस तैयार हुआ है. जब english.lagatar.in के रिपोर्टर मीनार के निरीक्षण को पहुंचे, तो वास्तविकता का पता चला. जलमीनार बनाने के लिए करीब 25 से अधिक पेड़ काटे गये हैं. आसपास काम कर रही कंपनी के साइट इंजीनियर ने बताया कि लॉकडाउन के पहले जलमीनार बनाने और पेड़ काटने के लिए वन विभाग से स्वीकृति ली गयी है. शुरूआत में स्थानीय लोगों ने कुछ परेशानी खड़ी की थी. लेकिन भविष्य में योजना के फायदे बताने पर वे मान गये. इंजीनियर ने बताया कि जितने पेड़ काटे गये हैं, उससे अधिक पेड़ कंपनी लगाने का काम करेगी.
सौंदर्यीकरण के नाम पर पहले ही पहाड़ी मंदिर को किया जा रहा बर्बाद
बता दें कि रांची की पहचान माने जाने वाली पहाड़ी मंदिर विगत कुछ वर्षों से अपनी अस्तित्व के लिए संघर्षरत है. मंदिर के ऊपरी हिस्से में फ्लैग पोल लगाने की वजह से मंदिर के अस्तित्व् पर ही पहले ही खतरा उत्पन्न हो गया है. कभी देश के सबसे बड़े तिरंगा व फ्लैग पोल लगाने का हश्र यह हुआ कि इस भारी भरकम पोल की वजह से जगह-जगह से पहाड़ी दरकने लगी थी. मंदिर की स्थिति बिगड़ते देख पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने तत्कालीन डीसी राय महिमापत रे को इस पोल को यहां से हटाने का निर्देश भी दिया था. लेकिन आज तक यह काम पूरा नहीं हुआ है.