Ranchi : एक तरफ कोरोना महामारी थमने का नाम नहीं ले रही है. वहीं कई विभागों में काम पेंडिंग हैं. चाहे मामला मानदेय का हो या अन्य. ऐसे में अनुबंध लेक्चरर का मानदेय भी लटक गया है. उनको मानदेय कब मिलेगा? इस सवाल का जवाब रांची यूनिवर्सिटी के जिम्मेवारों के पास नहीं है. रांची यूनिवर्सिटी के 14 कॉलेज और 22 पीजी विभागों में अनुबंध लेक्चरर अपनी सेवा दे रहे हैं. इन अनुबंध लेक्चरर के मानदेय से संबंधित प्रस्ताव को बिना सर्टिफाई कराये ही भेज दिया था. मानदेय से संबंधित प्रस्ताव कॉलेज और पीजी विभाग तैयार कर भेजना होता है.
रांची यूनिवर्सिटी के वीसी डॉ. कामिनी कुमार की अध्यक्षता में फाइनेंस कमेटी की बैठक हुई. जिसमें अनुबंध लेक्चरर के प्रस्ताव को स्वीकृति नहीं मिली. कमेटी के सदस्यों ने कहा कि मानदेय से संबंधित प्रस्ताव सर्टिफाई नहीं है. प्रस्ताव अग्रसारित कर भेज दिया गया है. इस वजह से शिक्षकों का बकाया मानदेय भुगतान पर निर्णय नहीं हो सका. अब इससे संबंधित प्रस्ताव पर अगली बैठक में चर्चा होगी.
विवि फाइनेंस कमेटी की बैठक में कुल तीन एजेंडे को स्वीकृति मिली. बैठक में कुलपति के अलावा रजिस्ट्रार डॉ. मुकुंद मेहता, फाइनेंस अफसर डॉ. कुमार एएन शाहदेव, पीजी कॉमर्स के एचओडी डॉ. जीपी त्रिवेदी, रामलखन सिंह यादव कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. मनोज कुमार समेत अन्य सदस्य उपस्थित थे.
एडवांस देने के प्रस्ताव को मिली स्वीकृति
फाइनेंस कमेटी की बैठक में कई प्रस्ताव पर विचार विमर्श हुए. कई प्रस्ताव को सर्वसम्मति से स्वीकृति मिली. कॉलेजों और पीजी विभागों में अनुबंध पर सेवा दे रहे वैसे व्याख्याता, जिनका एक लाख रुपए अधिक मानदेय मद में बकाया था, उन्हें 50-50 हजार रुपए दिया गया था. इससे संबंधित प्रस्ताव को घटनोत्तर स्वीकृति प्रदान की गयी. वहीं परीक्षा नियंत्रक के लिए कार का क्रय करने पर सहमति बनी. इसके अलावा बीमार चले रहे कुछ शिक्षाकर्मियों के एरियर भुगतान पर भी सहमति बनी.
गलती एचओडी और प्रिंसिपल की, भुगतेंगे अनुबंध लेक्चरर
अनुबंध लेक्चररों ने कहा कि शिक्षकों के मानदेय भुगतान नहीं होने के लिए सीधे तौर पर रांची विवि के अधिकारी जिम्मेवार हैं. संघ के अध्यक्ष डॉ. निरंजन महतो और डॉ. रिझू नायक ने कहा कि अबतक अनुबंध शिक्षकों को कैसे मानदेय भुगतान किया जाता था. मानदेय भुगतान से संबंधित प्रस्ताव प्रमाणित कर भेजना एचओडी व प्रिंसिपल का कार्य है. लेकिन इसका परिणाम अनुबंध लेक्चरर को झेलना पड़ रहा है.