Sweta/Rajnish
Ranchi : जेएसससी कंबाइंड ग्रेजुएट लेवल परीक्षा (सीजीएल) रद्द कर दी गई है. अभ्यर्थी गुस्से में हैं. सरकार और जेएसससी अध्यक्ष नीरज सिन्हा निशाने पर हैं. विपक्ष हमलावर है. जांच की मांग हो रही है. इन सबके बीच दो अहम सवाल गायब हो गए हैं. पहली यह कि छात्रों के साथ धोखा के लिए जिम्मेदार कौन है? दूसरी यह कि परीक्षा रद्द होने से छात्रों का जो करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है, उसे कौन लौटाएगा.
सीजीएल के लिए दो तारीखों की घोषणा हुई थी. पहली परीक्षा 28 जनवरी को हुई. इसमें करीब 3 लाख से ज्यादा अभ्यर्थी शामिल हुए. दूसरे चरण की परीक्षा की तारीख 4 फरवरी तय थी. अब दूसरे चरण की परीक्षा भी रद्द कर दी गयी है. 28 जनवरी को हुई परीक्षा का पेपर लीक हो गया. परीक्षा तीन पालियों में हुई थी. हर पाली की परीक्षा 2 घंटे की थी. पहली और दूसरी पाली की परीक्षा के बाद एक-एक घंटे का ब्रेक दिया गया था. दूसरी पाली के बाद अभ्यर्थियों को केंद्र से बाहर निकलने की अनुमति दी गयी थी. पहली पाली की परीक्षा सुबह 8.30 बजे से ही शुरू हो गयी थी. इसके लिए परीक्षा केंद्र पर 7 बजे ही रिपोर्टिंग का समय रखा गया था. सवाल यह उठ रहा है कि अभ्यर्थियों का जो समय बर्बाद हुआ, उनके पैसों का जो नुकसान हुआ, उसे कौन लौटाएगा.
परीक्षा में शामिल छात्रों की संख्या अधिक होने की वजह से शहर के अलावा दूर-दराज के इलाकों में भी सेंटर बनाए गए थे. छात्रों को 100-200 किमी दूर जाकर परीक्षा देनी पड़ी. छात्र बस, ट्रेन, ऑटो, कार रिजर्व कर जैसे-तैसे सेंटर तक पहुंचे. स्टेशन पर या सड़क के किनारे ठंड में रात बितायी. इन सब में प्रति अभ्यर्थी कम से कम 2000 रुपये खर्च हुए. आंकड़े के मुताबिक, करीब तीन लाख अभ्यर्थी परीक्षा में शामिल हुए. इस तरह आने-जाने, खाने व ठहरने में अभ्यर्थियों के करीब 65 करोड़ रुपये पानी में चले गये. जिन अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी, उनमें अधिकांश गरीब परिवार से आते हैं. बहुत से छात्रों के अभिभावकों ने कर्ज लेकर परीक्षा में शामिल होने के लिए भेजा था.
भागलपुर निवासी अभ्यर्थी नीलिमा का सेंटर धनबाद में पड़ा था. उसके माता-पिता नहीं हैं. उसके मुताबिक वह पड़ोसी से कर्ज लेकर इस परीक्षा में शामिल हुई थी. ऊपर से स्टेशन पर रात गुजारने का कष्ट अलग से हुआ. क्योंकि होटल के लिए पैसे नहीं थे. नीलिमा ने बताया कि परीक्षा बढ़िया गया, पर परिणाम तो जीरो ही हुआ. अब चिंता इस बात की है कि पड़ोसी के पैसे तुरंत कैसे लौटा पाएगी.
पाकुड़ के अभ्यर्थी सूरज ने बताया कि एक तो सीजीएल कई सालों के बाद आयोजित हुई. फिर परीक्षा होकर रद्द कर दी गयी. सूरज ने बताया कि परीक्षा के दिन सुबह से शाम तक भूखा रहा. सेंटर भी इतने इंटीरियर इलाके में दे दिया गया था कि आने-जाने में ही सारे करम हो गये. आने-जाने में उनके काफी रुपये खर्च हो गए.
कोडरमा के एक अभ्यर्थी ने बताया कि उसने बड़ी उम्मीद से परीक्षा दी थी. ठंड में रातभर स्टेशन पर रहा. उसे बुखार हो गया था. फिर भी सुबह 5 बजते ही वह परीक्षा केंद्र पर पहुंचा, क्योंकि सेंटर काफी इंटीरियर में था. उसने बताया कि उसकी स्थिति ऐसी हो गयी थी कि घर लौटने के लिए उसके पास सिर्फ 100 रुपये ही बचे थे. इससे वह या तो खाना खा सकता था या किराया दे सकता था. इसलिए भूख से बिलबिलाते हुए ही वह धनबाद से कोडरमा पहुंचा.
कब क्या हुआ
– 2015 में आवेदन लिया.
– 21.08.2016 में परीक्षा होनी थी, नहीं हुई.
– 2017 में फिर निकला विज्ञापन.
– मार्च 2017 में परीक्षा होनी थी, नहीं हुई.
– 2019 में नवंबर-दिसंबर में यह परीक्षा लेनी थी, लेकिन नहीं ली जा सकी.
– 2021 में फिर से आवेदन लिया गया.
– 2021 में परीक्षा नहीं हुई
– 21.08.2022 को होने वाली परीक्षा भी स्थगित कर दी गई.
– 2023 में आवेदन ली गई
– अगस्त 2023 में परीक्षा तिथि की घोषणा की गयी, लेकिन परीक्षा नहीं हुई.
– 16-17 दिसंबर 2023 को भी परीक्षा तिथि तय की गयी थी, लेकिन स्थगित कर दी गयी.
– छात्रों के विरोध को देखते हुए आयोग ने 21 व 28 जनवरी 2024 को परीक्षा की नयी तिथि की घोषणा की.
– फिर 28 जनवरी और 4 फरवरी को परीक्षा की तिथि की घोषणा हुई.
– 28 जनवरी को परीक्षा हुई औऱ अब रद्द हो गई. इसके साथ ही आगामी 4 फरवरी को होने वाली परीक्षा भी रद्द कर दी गई.
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