Ranchi : भूख और कुपोषण से मुक्त और संपूर्ण सामाजिक सुरक्षा के लिए राज्य का 2021-22 बजट कैसा होना चाहिए विषय पर झारखंड सिविल सोसाइटी ने सम्मेलन का आयोजन किया. दो दिवसीय राज्य सम्मेलन का आयोजन गुरुवार को कांके के विश्वा भवन में किया गया. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राइट टू फूड कैंपेन के सामाजिक कार्यकर्ता और सुप्रीम कोर्ट के राजस्व सलाहकार बलराम थे.
मौके पर उन्होंने कहा कि दलित और आदिवासी समुदाय के लिए बजट में समानता के अधिकार को ख्याल रखा जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि सामाजिक सुरक्षा योजनाओ पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है. बागवानी और कृषि कार्य को फिर से जीवित करने की जरूरत है. सरकार स्पेशल इकनॉमिक जोन बनती है, पर स्पेशल कृषि जोन बनाने की आवश्यकता है. इससे देश का भविष्य काफी बेहतर होगा. इसके साथ ही उन्होंने अवसर पर मिड डे मील, मातृत्व सहयोग, मनरेगा, पेंशन स्कीम आदि को और बेहतर बनाने के लिए अपने सुक्षाव दिये.
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संपूर्ण सामाजिक सुरक्षा लागू करने के लिए करें कार्य
प्रोफेसर जिन ड्रेज ने कहा कि अजीम प्रेमजी संस्थान के रिसर्च से पता चला है कि लॉकडाउन के बाद मजदूरों के रोजगार और वेतन आधा हो चुका है. यह गंभीर मामला है. कोविड की वजह से भूख और कुपोषण में वृद्धि हुई है. केंद्र सरकार का बजट जनविरोधी है. सरकार को सुझाव है कि आने वाले 3-4 सालों मे सम्पूर्ण सामाजिक सुरक्षा लागू करने की दिशा मे आगे बढ़ना चाहिए.
मनरेगा में कम मजदूरी सबसे बड़ी समस्या
जेम्स हेरेंज ने झारखंड मे नरेगा पर विस्तार से रिपोर्ट पेश की. उन्होंने कहा कि कम मजदूरी दर सबसे बड़ी समस्या है. इसलिए नरेगा की तरफ लोगों का रुझान कम है. उन्होंने कहा कि मनरेगा में कम मजदूरी एक बहुत बड़ी समस्या है. इसलिए इस बार के बजट में मजदूरी बढ़नी चाहिए. उन्होंने सुक्षाव देते हुए कहा कि किसी भी योजना के लागू करने से पहले ग्राम सभा से सुझाव और बजट लेना चाहिए. ऐसा करने से हर समुदाय का विकास समान रूप से होगा.
बजट में स्कॉलरशिप की राशि बढ़ानी चाहिए
दलित आर्थिक अधिकार आंदोलन (एनसीडीएचआर) के राज्य संयोजक मिथिलेश कुमार ने कहा कि स्टूडेंट्स के लिए पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप और प्री-मैट्रिक स्कॉलरशिप में बजट की राशि बढ़ाई जानी चाहिए. इसके साथ ही सभी दलित आदिवासी छात्रों को स्कॉलरशिप से जोड़ने के लिए सरल आवेदन की प्रक्रिया होनी चाहिए, ताकि अधिक से अधिक लोग उसका लाभ उठा सके. बजट परिचर्चा में जॉनसन, आशा, फादर सलोमन, जीवन जग्रनाथ, गुलाचंद, विश्वनाथ, कृष्णा जी, हलधर महतो, दिपक बाड़ा, अनिमा बा, उमेश ऋषि, मेरी निशा सहित अन्य लोग मुख्य रूप से शामिल थे.
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