धुएं से परेशान रहते हैं बच्चे, शिक्षक समेत सभी लोग
स्कूल में शोभा की वस्तु बनी है खाली रसोई गैस सिलेंडर
Pramod Upadhyay
Hazaribagh : हजारीबाग के इचाक प्रखंड में कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय समेत 85% सरकारी स्कूलों में कोयला, लकड़ी और गोयठा पर बच्चों का मध्याह्न भोजन बनता है. इस दौरान धुआं से बच्चे, शिक्षक समेत स्कूल से जुड़े सभी लोग परेशान रहते हैं. ऐसा नहीं है कि सरकारी स्कूलों में गैस सिलेंडर मुहैया नहीं कराई गई है. लेकिन सभी सिलेंडर खाली हैं और स्कूल के कोने में शोभा की वस्तु बनी हुई है. इचाक में 103 सरकारी स्कूल संचालित हैं. इनमें 12 मिडिल स्कूल, 20 उत्क्रमित मध्य विद्यालय, 27 प्राथमिक विद्यालय, तीन हाई स्कूल, 39 एनपीएस और एक-एक कस्तूरबा व नवोदय विद्यालय शामिल है.
महंगाई के कारण गैस सिलेंडर नहीं भराते हैं : रामप्रवेश राम
इचाक मोड़ स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय रूद के सचिव सह प्रभारी प्रधानाध्यापक रामप्रवेश राम ने बताया कि गैस की महंगाई आसमान छू रही है. इस वजह से गैस सिलेंडर नहीं भरवाते हैं और कोयले पर मध्याह्न भोजन पकाते हैं. इसके लिए अध्यक्ष संजीव जिम्मेवार हैं.
10 दिन भी नहीं चलता है गैस सिलेंडर : अजय मेहता
इस संबंध में राजकीय मध्य विद्यालय हदारी स्कूल के सचिव सह प्रधानाध्यापक अजय मेहता ने बताया कि गैस सिलेंडर मिला है. एक तो रसोई गैस महंगा है और महज 10 दिन भी नहीं चल पाता है. यह शिकायत संयोजिका और अध्यक्ष कर रहे थे. इसलिए कोयला पर खाना बनाने की बात कहते हैं.
आठ माह से सिलेंडर खाली पड़ा है : मंजू देवी
प्राथमिक विद्यालय छावनी की प्रधानाध्यापिका मंजू देवी का कहना है कि आठ माह से सिलेंडर खाली पड़ा है. अध्यक्ष और संयोजिका खेती-बारी में लगे हैं, इसलिए सिलेंडर नहीं भराया जा रहा है. इसलिए रसोइया कोयले के सहारे चूल्हे पर खाना बनाने को मजबूर है.
सभी स्कूलों को रसोई गैस के इस्तेमाल का निर्देश : बीईईओ
इचाक के बीईईओ बंशीधर राम ने कहा कि सभी स्कूलों को मध्याह्न भोजन के लिए रसोई गैस के इस्तेमाल का निर्देश दिया गया है. गुरुगोष्ठी में भी यह बात कही गई है. अगर कोई स्कूल कोयला, लकड़ी या गोयठे पर भोजन बनाता है, तो उसे जवाब देना होगा, अन्यथा कार्रवाई की जाएगी.
बीईईओ के सामने बनता है कोयले पर मध्याह्न भोजन
बीआरसी में संचालित कस्तूरबा विद्यालय में बीईईओ के सामने ही कोयले पर मध्याह्न भोजन बनाया जाता है. ऐसे में बीईईओ कितना कार्रवाई करना चाहते हैं, इसी बात से समझा जा सकता है. इससे बीईईओ के निरीक्षण पर भी सवाल उठ रहा है.
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