चुनावी बॉन्ड प्रीपेड रिश्वत और पोस्टपेड रिश्वत का मामला है. इसकी उच्चतम न्यायालय की निगरानी में जांच होनी चाहिए. चंदादाताओं का सम्मान, अन्नदाताओं का अपमान मौजूदा सरकार की नीति है.
New Delhi : कांग्रेस ने दावा किया है कि चुनावी बॉन्ड प्रीपेड रिश्वत और पोस्टपेड रिश्वत का मामला है. इसकी उच्चतम न्यायालय की निगरानी में जांच होनी चाहिए. पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह दावा भी किया कि चंदादाताओं का सम्मान, अन्नदाताओं का अपमान’ मौजूदा सरकार की नीति है. उन्होंने आज शनिवार को कहा कि केंद्र में इंडिया गठबंधन की सरकार बनने पर इस मामले की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया जायेगा. नेशनल खबरों के लिए यहां क्लिक करें
एसबीआई को अंततः 21 मार्च, 2024 को बॉन्ड के आंकड़े जारी करने पड़े
*4 लाख करोड़, बिक गए ये लोग*
पिछले महीने से ही भारतीय स्टेट बैंक इसके लिए भरपूर प्रयास कर रहा था कि किसी तरह इलेक्टोरल बांड से संबंधित डेटा जारी करने का समय 30 जून, 2024 तक टल जाए; आगामी लोकसभा चुनाव के काफ़ी बाद तक। यह संभवतः मोदी सरकार के इशारे पर किया जा रहा था।
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— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) March 23, 2024
रमेश ने संवाददाताओं से कहा, पिछले महीने से ही भारतीय स्टेट बैंक इसका भरपूर प्रयास कर रहा था कि किसी तरह चुनावी बॉन्ड से संबंधित आंकड़े जारी करने का समय 30 जून, 2024 तक टल जाये यानी आगामी लोकसभा चुनाव के काफ़ी बाद तक. यह संभवतः मोदी सरकार के इशारे पर किया जा रहा था. उन्होंने दावा किया, उच्चतम न्यायालय के बार-बार हस्तक्षेप और तल्ख टिप्पणी के बाद एसबीआई को अंततः 21 मार्च, 2024 को बॉन्ड के आंकड़े जारी करने पड़े. राजनीतिक दलों के साथ चंदा देनेवालों का मिलान करने में पायथन कोड की मदद से 15 सेकंड से भी कम का समय लगा. इससे एसबीआई का यह दावा बेहद हास्यास्पद साबित हुआ है कि उच्चतम न्यायालय द्वारा मांगा गया डेटा उपलब्ध कराने में उसे कई महीने लगेंगे.’
कंपनियों को 3.8 लाख करोड़ रुपये के ठेके और परियोजनाएं मिली हैं
रमेश ने आरोप लगाया, बॉन्ड में घोटाला चार तरीके से किया गया. पहला तरीका चंदा दो, धंधा लो का था. यानी यह प्रीपेड रिश्वत थी. दूसरा तरीका ठेका लो, रिश्वत दो का था. यह पोस्टपेड रिश्वत थी. तीसरा तरीका हफ़्ता वसूली का था, यानी छापेमारी के बाद रिश्वत. चौथा तरीका फर्जी कंपनियों का था.उन्होंने दावा किया, 38 ऐसे कॉरपोरेट समूहों ने चुनावी बॉन्ड के माध्यम से चंदा दिया है, जिन्हें केंद्र या भाजपा की राज्य सरकारों से 179 प्रमुख परियोजनाएं मिली हैं. भाजपा को चुनावी बॉन्ड के माध्यम से 2,004 करोड़ रुपए का चंदा देने के बदले इन कंपनियों को कुल मिलाकर 3.8 लाख करोड़ रुपये के ठेके और परियोजनाएं मिली हैं.
सरकार ने घूस को कानूनी दर्जा दे दिया
कांग्रेस महासचिव ने कहा कि यह चंदा-धंधा घोटाला’ है. रमेश ने कटाक्ष करते हुए कहा, जो सरकार किसानों को एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) नहीं दे रही है, उसने घूस को कानूनी दर्जा दे दिया. उन्होंने आरोप लगाया, चंदादाताओं का सम्मान, अन्नदाताओं का अपमान. यही इस सरकार की नीति है. कांग्रेस नेता ने कहा कि इस मामले की उच्चतम न्यायालय की निगरानी में जांच होनी चाहिए. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि केंद्र में इंडिया गठबंधन की सरकार बनने पर इस मामले की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया जायेगा तथा पीएम केयर्स और मोदानी (अडाणी समूह से जुड़े) मामले की भी जांच कराई जायेगी.