Ranchi: सरहुल पर्व के अवसर पर कांग्रेस नेता आदित्य विक्रम जायसवाल ने शुक्रवार को लाल सिरमटोली सरहुल पुजा समिति एवं मुंडा बस्ती, लोहरा कोच्चा,गोसाई टोली,डोडिया टोली,मकचुंद टोली सरहुल पूजा समिति के कार्यक्रम में शामिल हुए. जहां समिति के सदस्यों ने आदित्य जायसवाल को सरई फुल लगाकर एवं अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया.
इस अवसर पर आदित्य विक्रम जायसवाल ने लोगों को सरहुल पर्व की शुभकामनाएं दी. कहा कि प्रकृति के साथ अटूट प्रेम बंधन ही सरहुल पर्व है. झारखंड के निवासियों ने शुरू से इस परंपरा का निर्वहन किया है. उनके लिए वृक्ष कोई निर्जीव वस्तु नहीं है, बल्कि यह उनके घर का सदस्य है. उन्होंने कहा कि आदिकाल से झारखंड के आदिवासी और मूलवासी समाज धूमधाम से सरहुल का त्योहार मनाते आ रहे है. इस पर्व से हमें प्रकृति के संरक्षण व संवर्धन का संदेश मिलता है.
आदित्य विक्रम ने यह भी कहा कि सरहुल दो शब्द से मिलकर बना है, सर और हूल. सर यानी सरई या सखुआ का फूल और हूल का तात्पर्य क्रांति से है. इस तरह सखुआ फूल की क्रांति को ही सरहुल कहा गया है. मुंडारी, संथाली और हो भाषा में सरहुल को बा या बाहा पोरोब, खड़िया भाषा में जांकोर, कुड़ुख में खद्दी या खेखेल बेंजा कहा जाता है. इसके अलावा नागपुरी, पंचपरगनिया, खोरठा और कुरमाली भाषा में इसको सरहुल कहा जाता है.
ये रहे मौजूद
मौके पर अनिल कच्छप, बिरलू कच्छप, आज़ाद,कार्तिक कच्छप,समीर,बल्ली,बलदेव तिरकी, मोहन,पूनम तिरकी,कृष्णा सहाय,संजीव महतो,अनिल सिंह, मनोज राम, मनोज राम, संतोष सिंह,निरंजन महतो आदि लोग मौजूद थे.