Bahragoda : अगर आपको एक रुपए प्रति किलो करेला खरीदना हो तो कृषि प्रधान बहरागोड़ा प्रखंड के महुलडांगरी गांव आएं. स्वर्णरेखा नदी के किनारे बसे इस ऐतिहासिक गांव के किसान बेहाल हैं. किसानों ने लगभग 200 बीघा खेत में करेला, खीरा समेत अन्य कई सब्जियों की खेती की है. मगर इनकी विडंबना है कि उचित बाजार के अभाव में एक रुपए प्रति किलो की दर से करेला बेचना पड़ रहा है. वहीं खीरा के ग्राहक ही नहीं हैं. नतीजतन, किसान खीरा की तुड़ाई नहीं करवा रहे हैं और खीरा खेत में ही सड़ रहे हैं.
दो रुपए प्रति किलो की दर से बिहार के व्यापारी को बेचा जा रहा
वैसे तो ग्रामीण इलाके के बाजार में 20-25 रुपए प्रति किलो और जमशेदपुर में 30-40 रुपए प्रति किलो की दर से करेला की बिक्री हो रही है. लेकिन महुलडांगरी में स्थिति उलट है. यहां उत्पादित करेला और खीरा के ग्राहक नहीं मिल रहे हैं. शुक्रवार को अनेक किसानों ने 100 क्विंटल के करीब करेले की तुड़ाई की और एक रुपए प्रति किलो की दर से स्थानीय व्यापारी को बेचा. स्थानीय व्यापारी इस करेले को दो रुपए प्रति किलो की दर से बिहार के व्यापारी को बेचेंगे. गांव के किसान असित पंडा, शिशिर घोष, गौर हरि पड़ा, असित पैड़ा, चंदन पैड़ा, अनंत घोष और सुदाम दंडपाट ने कहा कि गांव के लगभग 150 किसानों ने लगभग 200 बीघा खेत में केरला और खीरा की खेती की है.
फसल अच्छी हुई, पर लागत भी नहीं निकल रही
इस साल फसल भी अच्छी हुई है. परंतु फसल की उचित कीमत नहीं मिल रही है. गांव में ही स्थानीय व्यापारियों को एक रुपए किलो की दर से करेला बेचना पड़ रहा है. ऐसे में हमें भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. गौर हरि पैड़ा ने आज लगभग 40 बोरा यानी लगभग 20 क्विंटल करेले की तुड़ाई मजदूरों से करवाई और एक रुपए किलो की दर से गांव में स्थानीय व्यापारियों को बेचा. किसानों ने कहा कि खीरा के लिए ग्राहक नहीं मिल रहे हैं. इसलिए खीरा की तुड़ाई नहीं कराई जा रही है और खीरा खेत में ही सड़ रहे हैं. ज्ञात हो कि यहां उत्पादित करेला को पश्चिम बंगाल और ओड़िशा के व्यापारी खरीद कर ले जाते थे. किसानों का कहना है कि भाद्र महीना में पश्चिम बंगाल और ओड़िशा में लोग करेला नहीं खाते हैं. इसलिए बंगाल और ओड़िशा के व्यापारी करेला खरीदने नहीं आ रहे हैं. फिलहाल, यहां उत्पादित करेला को स्थानीय व्यापारी बिहार के व्यापारियों को बेच रहे हैं.