– त्रिवेणी सैनिक के सहायक महाप्रबंधक ने कहा- एनटीपीसी के निर्देश पर कर रहे खनन
– कार्रवाई के सवाल पर साधी चुप्पी, डीएफओ ने की 23 करोड़ रुपये के जुर्माने की अनुशंसा
Pravin Kumar
Ranchi: भारत सरकार की महारत्न कंपनी एनटीपीसी के पंकरी बरवाडीह कोल परियोजना क्षेत्र के दुमुहानी नाला/नदी के 100 एकड़ क्षेत्र में अवैध खनन की पुष्टि हो गयी. अवैध खनन हुआ, यह वन विभाग, जिला प्रशासन और एनटीपीसी के अफसर से लेकर राज्य के आला अधिकारी तक मान रहे हैं, लेकिन इसके लिए जिम्मेवार कौन ? इस पर सबने चुप्पी साध रखी है. ऐसा भी नहीं कि अवैध खनन बंद हुआ हो. अवैध खनन अब भी बदस्तूर जारी है और जिम्मेवारों ने चुप्पी साध रखी है. अवैध खनन पर सवाल खड़े करने वाले मंटू सोनी का कहना है कि अफसरों द्वारा मामले की लीपापोती की कोशिश की जा रही है. अवैध खनन पर सवाल खड़े करने वाले मंटू सोनी का कहना है कि अफसरों द्वारा मामले की लीपापोती की जा रही है. सबसे बड़ा सवाल यह भी कि अवैध खनन कर निकाला गया कोयला आखिर गया कहां. एनटीपीसी के पास पहुंचा या कहीं और गया, इसकी भी जांच होनी चाहिए.
दो साल से ताक पर नियम-कानून
दो साल से नियम कानून की धज्जियां उड़ा एनटीपीसी के लिए खनन करने वाली त्रिवेणी-सैनिक माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड लगातार पंकरी-बरवाडीह कोल परियोजना से कोयला निकाल रही है. केंद्रीय फॉरेस्ट क्लियरेंस की शर्तों का उल्लंघन कर लाइफलाइन दुमुहानी नाला/नदी को नष्ट कर सौ एकड़ एरिया में अवैध खनन की पुष्टि और डीएफओ द्वारा 23 करोड़ जुर्माना की अनुशंसा करने की बाद भी अवैध खनन रुका नहीं है. न तो अवैध खनन की जांच करने कोई पहुंच रहा है और न कोई जिम्मेवारी लेने को तैयार है. एनटीपीसी के अफसर पल्ला झाड़ रहे हैं. वे सारी जवाबदेही त्रिवेणी-सैनिक माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड के मत्थे मढ़कर खुद को पाक-साफ बताने में जुटे हैं.
एनटीपीसी के अफसर बोले- अवैध खनन एमडीओ ने किया
अवैध माइनिंग को लेकर महारत्न कंपनी एनटीपीसी के रांची कार्यालय के पीआरओ अमित कुमार बहेरा ने कहा है कि अवैध खनन के लिए सीधे एनटीपीसी को जिम्मेवार नहीं कहा जा सकता है. अवैध खनन तो एमडीओ (त्रिवेणी-सैनिक माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड) ने किया है. इस मामले को लेकर बहुत पहले जवाब दे दिया गया है. जब शुभम संदेश संवाददाता ने पूछा कि एमडीओ पर कार्रवाई कौन करेगा? इस सवाल पर बहेरा ने कहा कि मैं अपने सीनियर अधिकारियों से पूछकर इस संबंध में बताऊंगा. लेकिन एनटीपीसी की ओर से खबर लिखे जाने तक कोई जवाब नहीं दिया गया.
एनटीपीसी के अफसर ने जो कहा, वही किया- त्रिवेणी-सैनिक लिमिटेड
त्रिवेणी-सैनिक माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड के सहायक महाप्रबंधक अरविंद देव का कहना है कि हम लोग कांट्रेक्टर हैं. जो एनटीपीसी कहता है, हम वही काम करते हैं. बिना एनटीपीसी के निर्देश के हम लोग कहीं खनन नहीं कर सकते हैं. दो मुहानी नाला व पकवा नाला का भी खनन एनटीपीसी के अफसरों के कहने पर ही किया गया.
डीएफओ की रिपोर्ट भी संदेह के घेरे में
शुभम संदेश ने पश्चिमी वन प्रमंडल हजारीबाग द्वारा करीब सौ एकड़ एरिया में अवैध माइनिंग की खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था. इसके बाद मामले की जांच की गई. पंकरी-बरवाडीह कोल परियोजना को लेकर डीएफओ ने अपनी रिपोर्ट में अवैध खनन की बात तो मानी लेकिन किसी को दोषी नहीं बताया है. उनकी यह रिपोर्ट अब सवालों के घेरे में है.
डीसी से मुख्य सचिव तक अवैध खनन पर खामोश
एनटीपीसी के पंकरी-बरवाडीह कोल परियोजना में सौ एकड़ में अवैध माइनिंग की पुष्टि तो कर दी गई है, मगर इसका जिम्मेवार कौन है, यह बताने को कोई तैयार नहीं है. शुभम संदेश की टीम ने झारखंड के मुख्य सचिव सुखदेव सिंह, वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के अपर मुख्य सचिव एल ख्यांग्ते, खान सचिव अबु बकर सिद्दिकी, हजारीबाग डीसी नैंसी सहाय को भी इस मामले में पक्ष लेने के लिए फोन किया. सभी अफसरों के आधिकारिक नंबर पर सवाल भी भेजे गए, मगर सबने चुप्पी साध ली. अगर उनका जवाब आएगा, तो हम उसे भी प्रमुखता से प्रकाशित करेंगे.
जांच पर जांच, फिर भी अवैध खनन जारी
मंटू सोनी की शिकायत पर केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने 12 सितंबर 2022 को मुख्य सचिव झारखंड को पत्र भेजकर कार्रवाई करने को कहा था. हालांकि, इसके पहले ही मुख्य सचिव तक भी यह शिकायत पहुंची थी. उन्होंने 1 अगस्त को ही खान सचिव को पत्र भेज कार्रवाई करने को कहा था. जिसका पत्रांक संख्या 4418/2022 है. वहीं, पुनः 16 अगस्त को अवैध खनन को लेकर मुख्य सचिव ने वन विभाग को पत्र लिखा था, जिसका पत्रांक संख्या 4664/2022 है. जांच पर जांच हुई पर कार्रवाई के लिए कोई आगे नहीं आ रहा.
अवैध माइनिंग के सवालों पर डीएफओ मौन
शुभम संदेश ने विगत 22 अक्टूबर को पश्चिमी वन प्रमंडल पदाधिकारी आरएन मिश्रा (डीएफओ) को पंकरी-बरवाडीह कोल परियोजना में फॉरेस्ट क्लियरेंस की शर्तों का उल्लंघन कर करीब सौ एकड़ एरिया में अवैध माइनिंग किए जाने को लेकर सवाल किए, सवाल को लिखित रूप में भी भेजा लेकिन कोई जवाब नहीं दिया गया. केवल इतना कहा कि हम कुछ नहीं कहेंगे.
सुलगते सवाल
1.दुमुहानी नाले को नष्ट होने से बचाया जा सकता था, अगर वन विभाग सतर्क रहता तो…? इसके लिए किसे जिम्मेवार मानते हैं आप ?
- आपने फॉरेस्ट क्लियरेंस की शर्तों का उल्लंघन कर अवैध माइनिंग की बात स्वीकार की, लेकिन किसी अधिकारी को जिम्मेवार नहीं ठहराया? इसके ठोस कारण क्या हैं, किस आधार और आदेश के आधार पर आपने यह माना कि कोई अधिकारी जिम्मेवार नही हैं?
- ऐसा कोई आदेश है जिसके आधार पर एनटीपीसी को दुमुहानी नाले को बिना फॉरेस्ट क्लियरेंस के लिए माइनिंग करने का आदेश प्राप्त हो?
- आपने एनटीपीसी द्वारा शर्तों का उल्लंघन कर अवैध माइनिंग की बात को स्वीकार किया तो बायोडायवर्सिटी एक्ट 2002 और माइंस एंड 2002 एक्ट, पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, वाइल्ड लाइफ अधिनियम के अलावा सुप्रीम कोर्ट/एनजीटी के आदेशों का उल्लंघन क्यों नहीं माना? क्या यह कानून इस मामले में लागू नहीं किया जाता? इसे स्पष्ट करें.
- एनटीपीसी द्वारा कन्वेयर बेल्ट का निर्माण करने के बाद सड़क मार्ग से कोयला ट्रांसपोर्टिंग करने का कोई आदेश हो तो दिया जाए.
- कन्वेयर बेल्ट बनने के बाद सड़क मार्ग से कोयला परिवहन के लिए आपके कार्यालय से कैसे अनुज्ञा/परमिट जारी किया जा रहा है?
- वन विभाग के क्षेत्र को अतिक्रमण कर कोयला परिवहन किए जाने को लेकर एनटीपीसी के अधिकारियों पर वन विभाग द्वारा किए गए केस पर अब तक क्या कार्रवाई हुई?
- एनटीपीसी द्वारा फॉरेस्ट क्लियरेंस की शर्तों का उल्लंघन कर अवैध माइनिंग पर झारखंड लघु खनिज समानुदान नियमावली 2004 के नियम 4 एवं 54 के अंतर्गत अवैध खनन के लिए भादवि की धारा 175, 379, 414, 411, 420, 120बी, 3, 406 एवं अन्य के तहत मामला बनता है या नहीं ?
सरकार, प्रशासन, विपक्ष की चुप्पी खतरनाक
विशेष टिप्पणी
हजारीबाग के बड़कागांव में 100 एकड़ फॉरेस्ट लैंड पर अवैध खनन हुआ. सैकड़ों मिलियन टन कोयले का अवैध उत्खनन. जांच में पुष्टि हुई. जुर्माना लगा पर कोई केस नहीं. कोई गिरफ्तारी नहीं. यानी आपराधिक षड्यंत्र करके देश की संपत्ति की चोरी करो, जुर्माना दो (बहुत कम) और छूट जाओ. यह सब उस राज्य में हुआ, जिस राज्य में चोरी के एक बोरी कोयले के साथ पकड़े जाने पर पुलिस एवं वन विभाग के ईमानदार अधिकारी-कर्मचारी, गरीबों को जेल भेज देती है. उस राज्य में जहां का विपक्ष कुछ ट्रक-ट्रैक्टर कोयला चोरी पर सरकार की ऐसी-तैसी करता रहता है. पर, इस मामले (संभवतः देश का सबसे बड़ा अवैध उत्खनन का मामला) में सब चुप हैं. यह खतरनाक स्थिति है.
सुरजीत सिंह
कुछ सवाल और उनके जवाब
सवाल : अवैध खनन किसने किया?
जवाब : त्रिवेणी सैनिक कंपनी ने.
सवाल : किसके लिए किया?
जवाब : सरकारी कंपनी एनटीपीसी के लिए.
सवा : रोकना किसे था?
जवाब : वन विभाग, जिला प्रशासन व सरकार को.
सवाल : किसने नहीं उठाया?
जवाब : जिम्मेदार अफसर व विपक्षी नेताओं ने.
सवाल : सब चुप क्यों रहें?
जवाब : क्योंकि चुप रहने में सबका फायदा है.
जिम्मेदार कौन
वन विभाग व जिला प्रशासनः फॉरेस्ट लैंड में अवैध खनन हो रहा है, इसकी जानकारी वन विभाग और जिला प्रशासन के अफसरों को थी. इस बात के पर्याप्त सबूत मिले हैं. इस बात की भी जानकारी थी कि 20 मीटर चौड़े दुमुहानी नाले को खत्म कर दिया गया. इसके भी पुख्ता प्रमाण हैं. 3.1 एक किमी नाला के नीचे खुदाई करके कोयला का अवैध उत्खनन कर लिया गया लेकिन किसी तरह की कार्रवाई नहीं की.
सरकार व उच्च अधिकारीः सरकार का नाम आते ही लोगों के दिमाग में मुख्यमंत्री-मंत्री का नाम-चेहरा आता है. पर, ये सब तो अस्थायी सरकार हैं. स्थायी सरकार हैं- सचिवालय में बैठे उच्च पदस्थ अधिकारी. जिन्होंने शिकायत मिलने पर भी इस मामले में त्वरित व जरूरी कार्रवाई नहीं की. इनमें वे अफसरान भी शामिल हैं, जो अक्सर बैठकें करते हैं, कहते हैं – कोयला चोरी बंद होनी चाहिए. इनके स्थायी सरकार होने का मतलब यह नहीं कि मंत्री-मुख्यमंत्री की कोई जिम्मेदारी बनती ही नहीं है.
विपक्ष : झारखंड में सरकार किसी की भी हो, विपक्ष के लिए सबसे बड़ा मुद्दा होता है- कोयला चोरी, तस्करी, माफिया राज, निशाने पर होते हैं कोयला क्षेत्र के एसपी. कई बार डीसी भी. विपक्ष कोयला चोरी में सरकार को भी लपेटती है. अभी विपक्ष में भाजपा है. भाजपा के तमाम बड़े नेताओं के ट्विटर पर जाकर उनके बयान पढ़ सकते हैं. कोयला चोरी को लेकर मुख्यमंत्री और अधिकारी को जिम्मेदार ठहराने वाले बयान मिल जाएंगे. विधानसभा में भी सवाल उठाए गए हैं. लेकिन आश्चर्यजनक ढंग से एनटीपीसी के लिए त्रिवेणी सैनिक कंपनी द्वारा किए गए इस सबसे बड़े अवैध उत्खनन पर विपक्ष के तमाम नेता चुप हैं. मीडिया में खबरें आने के बाद भी चुप ही हैं. क्यों चुप हैं, इसकी चर्चा फिर कभी, पर यह जानना दिलचस्प होगा.