Ranchi: इंडियन मेडिकल एसोसिएशन हॉस्पिटल बोर्ड ऑफ इंडिया के चेयरमैन डॉ शरद अग्रवाल ने मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री को पत्र लिखा है. इसमें क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट में संशोधन करने की मांग रखी गई है. पत्र के माध्यम से आईएमए ने राज्य सरकार को अवगत कराया कि इस एक्ट के लागू होने से राज्य के करीब 15 हजार छोटे एवं मंझोले अस्पताल प्रभावित होंगे. इस परिस्थिति में इन अस्पतालों को बंद करना पड़ेगा. जिसका सीधा असर ग्रामीण एवं छोटे शहरों की जनता को उठाना पड़ेगा. रांची की बड़ी खबरों के लिए यहां क्लिक करें…
इलाज का खर्च बढ़ेगा, गरीबों पर पड़ेगा सीधा असर
आईएमए रांची चैप्टर के सचिव डॉ प्रदीप कुमार सिंह ने कहा कि क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट 2018 में पास हुआ और सभी राज्य सरकारों को अपनी शर्त और जरूरत के मुताबिक इसमें संशोधन करने की इजाजत दी गई थी. लेकिन झारखंड में 50 बेड से कम के अस्पताल को इस एक्ट में शामिल कर दिए जाने से इलाज अत्याधिक महंगा हो जाएगा. जिसका असर गरीब जनता पर पड़ेगा. उन्होंने कहा कि यदि इस अधिनियम में संशोधन नहीं किया जाता है तो रोगियों के साथ-साथ राज्य के स्वास्थ्य केंद्रों को भी नुकसान होगा.
इसे भी पढ़ें-यौन शोषण को लेकर एलन मस्क सुर्खियों में, ढाई लाख डॉलर देकर महिला कर्मचारी को चुप कराया गया !
कुछ राज्यों में 50 व उससे कम बेड वाले अस्पतालों को एक्ट से रखा गया है बाहर
डॉ प्रदीप ने कहा कि आइएमए इस एक्ट के खिलाफ नहीं है, लेकिन दूसरे राज्य (हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश) एक्ट को व्यवहारिक बनाने के पक्ष में है. जबकि कुछ राज्यों में क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट लागू करते समय 50 बेड एवं उससे कम वाले अस्पतालों को एक्ट के दायरे से बाहर रखा गया है.
इसे भी पढ़ें-BIG BREAKING : पूजा सिंघल को ED ने फिर लिया 5 दिन के रिमांड पर, CA सुमन भेजे गए होटवार जेल
इन मानकों को करना होगा पूरा
नए नियमों के तहत 30 से अधिक बेड वाले अस्पतालों को अपने मरीजों को सभी संसाधन और सुविधाएं देनी होंगी. इसके साथ ही नेशनल काउंसिल फॉर क्लिनिकल इस्टैब्लिशमेंट द्वारा बायोमेडिकल वेस्ट, सुरक्षा और प्रदूषण से जुड़े मानकों को भी पूरा करना होगा.