Vinit Upadhyay
Ranchi/Delhi : खनन लीज और शेल कंपनियों से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मेंटेनेबिलिटी की बिंदु पर फैसला सुना दिया है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद यह तय हो गया है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ झारखंड हाईकोर्ट में दायर PIL सुनवाई योग्य नहीं है. झारखंड हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ झारखंड सरकार और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस सुधांशु धुलिया की बेंच ने फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को बड़ी राहत मिली है.
झारखंड हाईकोर्ट ने स्वीकार कर ली थी जनहित याचिका
बता दें कि झारखंड हाईकोर्ट ने शेल कंपनियों में इन्वेस्टमेंट और खनन पट्टा लीज दिए जाने के मामले की सीबीआइ (जांच की मांग को लेकर दाखिल जनहित याचिका को स्वीकार कर लिया था. साथ ही मेंटेनेबिलिटी बिंदु पर सरकार द्वारा दी गई दलीलों को खारिज कर दिया था. जनहित याचिका की सुनवाई चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की बेंच में हो रही थी. इस मामले में राज्य सरकार, शिवशंकर शर्मा, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और ईडी पक्षकार हैं. PIL दायर करने वाले शिवशंकर शर्मा के अधिवक्ता राजीव कुमार कैश कांड में गिरफ्तार हो चुके हैं और पिछले कुछ महीनों से वह जेल में बंद हैं.
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सच की जीत- हेमंत सोरेन
सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि सच की जीत होती है. कोर्ट ने माइनिंग लीज केस को लेकर जनहित याचिकाओं को सुनवाई योग्य बताने वाले हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर उनकी और राज्य सरकार की याचिकाओं को स्वीकार कर लिया. हाई कोर्ट में माइनिंग लीज और शेल कम्पनी को लेकर दायर की गई जनहित याचिका पर सुनवाई चल रही थी. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सुप्रीम कोर्ट इसी के खिलाफ गए थे. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सीएम ने तुंरत ट्वीट किया, ”सत्यमेव जयते.”
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा ?
सुप्रीम कोर्ट के बेंच ने कहा, ‘‘हमने इन दो याचिकाओं को अनुमति दे दी है और जनहित याचिकाओं को सुनवाई योग्य नहीं ठहराते हुए झारखंड हाई कोर्ट के तीन जून, 2022 को आदेश को दरकिनार कर दिया है. चीफ जस्टिस यू यू ललित, जस्टिस एस आर भट्ट और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच ने हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर झारखंड सरकार और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की एसएलपी पर 17 अगस्त को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. इस मामले में सभी पक्षों की ओर से बहस पूरी कर ली गई थी और सभी पक्षों ने अपनी अपनी दलीले भी अदालत के समक्ष पेश कर दी थीं.
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राज्य सरकार की ओर से कपिल सिब्बल ने दलील दी
राज्य सरकार की ओर से बहस करते हुए वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने दलील दी थी कि हाई कोर्ट ने सभी कागज पेश करने से पहले ही याचिका पर विचार करने का फैसला कर लिया. वहीं हेमंत सोरेन की ओर से पेश हुए वकील मुकुल रोहतगी ने जनहित याचिका दायर करने वाले व्यक्ति की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े किए थे.
ईडी के वकील ने क्या कहा?
ईडी की तरफ से पेश हुए वरीय अधिवक्ता और सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने कहा कि झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन के खिलाफ सबूत मिले हैं. साथ ही उन्होंने मामले को गंभीर बताते हुए सुप्रीम कोर्ट से अपील की कि इसे हाई कोर्ट में जारी रखा जाना चाहिए.