Vinit Abha Upadhyay/Saurabh Singh
Ranchi : रांची के बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार में बंद मनी लॉन्ड्रिंग केस के आरोपियों प्रेम प्रकाश और अमित अग्रवाल की ED के अधिकारियों के खिलाफ साजिश रचे जाने की सूचना पर छापेमारी की थी. इस घटना के बाद Lagatar.in को एक विश्वसनीय सूत्र ने एक तस्वीर भेजी है. यह तस्वीर बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार की है. जिसमें एक कैदी स्पष्ट रूप से मोबाइल चलाता दिख रहा है. सबसे आश्चर्य की बता यह है कि जेल में जब कैदी मोबाइल संचालित कर रहा है तो उस वक्त जेल की सुरक्षा में तैनात एक सिपाही वर्दी में उसके पास बैठा है. इस तस्वीर को देखने के बाद यह कहना गलत नहीं होगा कि बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार होटवार में बंद कैदी बे-रोक टोक मोबाइल का इस्तेमाल कर रहे हैं और इसकी जानकारी जेल प्रबंधन को भी है. यह तस्वीर होटवार जेल के अंडा सेल (हाई सिक्योरिटी सेल) की है. इस तस्वीर के सामने आने के बाद जेल के अंदर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम के दावों की पोल खुल गई है.
जानकारी के मुताबिक, रांची के अलावा धनबाद और हजारीबाग स्थित जेलों में बंद गैंगस्टर्स मोबाइल-सेलफोन के जरिए गिरोह ऑपरेट कर रहे हैं. ये चौंकाने वाला खुलासा टेक्निकल इन्क्वायरी में हुआ है. एंटी टेररिस्ट स्क्वॉड (एटीएस) की टेक्निकल सेल ने जांच में पाया था कि रांची शहर के होटवार स्थित बिरसा मुंडा सेंट्रल जेल के भीतर 150 से भी ज्यादा मोबाइल सिम एक्टिव हैं. पुलिस मुख्यालय ने जेल के भीतर सक्रिय सिमकार्ड नंबर, व्हाट्सएप नंबर, आइईएमईआई नंबर और वर्चुअल नंबर के ब्योरे के साथ ये रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप दी थी.
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5जी के जमाने में रांची जेल में 2जी नेटवर्क जैमर
5 जी के जमाने में रांची जेल में 2जी नेटवर्क जैमर अभी तक लगा हुआ है, जो किसी काम का नहीं है. वर्तमान समय में लगभग हर किसी के पास 4जी और 5जी मोबाइल है. सूत्रों के अनुसार, जेल में बंद एक दर्जन गुर्गे जेल से रंगदारी मांग रहे हैं. इसका खुलासा पूर्व में कई बार हो चुका है. एक-दो थाना में एफआईआर भी किया गया था. जेल में कई बार छापेमारी की गई, लेकिन मोबाइल नहीं मिला. छापेमारी से पहले जेल गेट पर अधिकारियों व जवानों को 15 से 20 मिनट तक रोक दिया जाता है. फिर उसके बाद टीम जेल के भीतर प्रवेश करती है. इतना समय मोबाइल व अन्य संदिग्ध सामान छिपाने के लिए पर्याप्त है.
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