Ranchi : 11 नवंबर का दिन एक बार फिर झारखंड के इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया. 11 नवंबर 1908 को सीएनटी एक्ट बना, 11 नवंबर 2021 को सरना कोड विधानसभा से पास हुआ. अब 11 नवंबर 2022 को दो और एतिहासिक विधेयक झारखंड विधानसभा से पास हुए. विधानसभा के विशेष सत्र में (झारखंड स्थानीय व्यक्तियों की परिभाषा और परिणामी सामाजिक, सांस्कृतिक और अन्य लाभों को ऐसे स्थानीय व्यक्तियों तक विस्तारित करने के लिए विधेयक 2022) पारित हुआ. इसके तहत अब झारखंड में अब थर्ड और फोर्थ ग्रेड की नौकरी उसी को मिलेगी, जिसके पास 1932 का खतियान होगा. वहीं दूसरे विधेयक (झारखंड पदों एवं सेवाओं की रिक्तियों में आरक्षण (संशोधन) विधेयक के पास होने से अब राज्य में ओबीसी आरक्षण 14 से बढ़ाकर 27 फीसदी हो जाएगा. इस तरह राज्य में कुल 77 प्रतिशत आरक्षण लागू होगा. विधानसभा ने इन दोनों विधेयकों को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करने का भी प्रस्ताव पारित किया है. दोनों विधेयकों को अब केंद्र सरकार के पास भेजा जाएगा. केंद्र की मंजूरी के बाद ये विधेयक कानून का रूप लेंगे. नौवीं अनुसूची में एक बार शामिल होने वाले कानूनों को कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती.
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स्थानीयता को नियोजन से जोड़ा गया
सदन की कार्यवाही के दौरान भाकपा माले के विधायक बिनोद सिंह ने (झारखंड स्थानीय व्यक्तियों की परिभाषा और परिणामी सामाजिक, सांस्कृतिक और अन्य लाभों को ऐसे स्थानीय व्यक्तियों तक विस्तारित करने के लिए विधेयक 2022) संशोधन प्रस्ताव लाया और स्थानीयता को नियोजन से जोड़ने की मांग की. इसके बाद मुख्यमंत्री ने विधेयक को नियोजन नीति से स्पष्ट तरीके से जोड़ा.
अब आदिवासी बोका नहीं रहा
सीएम हेमंत सोरेन ने सदन के अंदर इन दोनों विधेयकों को ऐतिहासिक बताया. कहा कि शिबू सोरेन ने अलग झारखंड राज्य दिया और उनके बेटे ने 1932 का खतियान आधारित स्थानीय नीति और ओबीसी आरक्षण दिया. भाजपा सरकार ने राज्य में ओबीसी आरक्षण घटा दिया था, लेकिन हमने पिछड़ों के हक छीनने की उनकी कोशिश विफल कर दी. उन्होंने कहा कि आदिवासी अब बोका नहीं रहा. जिसे आपलोग बोका समझते हैं. अब हमलोग अपने पैर में नहीं आपके पैर में कुल्हाड़ी मारेंगे.
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