NewDelhi : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज रविवार को 11 बजे अपने मन की बात के जरिए पानी के महत्व को रेखांकित किया. साथ ही पीएम ने आत्मनिर्भर भारत, नेशनल साइंस डे, छात्रों की परीक्षाएं और भारतीय भाषाओं के प्रचार-प्रसार को लेकर चर्चा की. उन्होंने पानी को लेकर कहा, भारत के ज्यादातर हिस्सों में मई-जून में बारिश शुरू होती है.
पूछा कि क्या हम अभी से अपने आसपास के जलस्रोतों की सफाई के लिए, वर्षा जल के संचयन के लिए, 100 दिन का कोई अभियान शुरू कर सकते हैं? इसी सोच के साथ अब से कुछ दिन बाद जल शक्ति मंत्रालय द्वारा भी जल शक्ति अभियान कैच द रेन शुरू किया जा रहा है.
इसे भी पढ़ें : PSLV-C51 की ऊंची उड़ान, ISRO ने सफलतापूर्वक लॉन्च किये अमेजोनिया-1 समेत 18 उपग्रह
अभियान का मूल मंत्र है- कैच द रेन, वेयर इट फॉल्स
इस क्रम में पीएम ने बताया कि इस अभियान का मूल मंत्र है- कैच द रेन, वेयर इट फॉल्स. हम अभी से जुटेंगे, हम से जो रेनवॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम है, उसे दुरुस्त करवाएंगे. तालाबों में, पोखरों में गांवों में सफाई करवा लेंगे. जलस्रोतों तक जा रहे पानी के रास्ते की रुकावटें दूर कर लेंगे तो ज्यादा से ज्यादा वर्ष जल का संचयन कर पायेंगे.
छात्रों को वॉरियर बनना है, वरियर नहीं
पीएम ने परीक्षाओं को लेकर भी अपनी बात रखी. छात्रों से कहा कि अधिकतर युवाओं की जल्द परीक्षाएं होंगी. कहा कि छात्रों को वॉरियर बनना है, वरियर नहीं. छात्रों को मंत्र दिया कि हंसते हुए एग्जाम देने जाना है और मुस्कुराते हुए लौटना है. साथ ही पीएम ने मार्च में परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम रखने का ऐलान किया.
.उन्होंने कहा कि मेरी आप सभी एग्जाम वॉरियर्स से, पैरेंट्स से, और टीचर्स से, अपील है कि अपने अनुभव, अपने टिप्स जरूर शेयर करें. आप MyGov और NarendraModi App पर इन्हें शेयर कर सकते हैं. मार्च मे होने वाली चर्चा से पहले मेरी आप सभी से चर्चा है कि अपने अनुभव, अपने टिप्स जरूर शेयर करें.
इसे भी पढ़ें : मुकेश अंबानी के घर के पास SUV में विस्फोटक रखने की जिम्मेवारी जैश-उल-हिंद के आतंकियों ने ली
जिन खेलों में कमेंट्री समृद्ध, उनका प्रचार तेजी से होता है
प्रधानमंत्री ने भारत की स्थानीय भाषाओं की अहमियत बताते हुए कहा, ऐसी अनेक भाषाओं की स्थली है, जो हमारी संस्कृति और गौरव का प्रतीक है, पीएम ने इस दौरान गुजरात के केवड़िया की एक ऑडियो क्लिप भी सुनाई. इसी के साथ उन्होंने कहा, जिन खेलों में कमेंट्री समृद्ध है, उनका प्रचार-प्रसार बहुत तेजी से होता है. हमारे यहां भी बहुत से खेल हैं लेकिन उनमें कमेंट्री कल्चर नहीं आया है और इस वजह से वो लुप्त होने की स्थिति में हैं.
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय खेलों की कमेंट्री अधिक से अधिक भाषाओं में हो, हमें इसे प्रोत्साहित करने की जरूरत है. मैं खेल मंत्रालय और प्राइवेट संस्थानों के सहयोगियों से इस बारे में सोचने का आग्रह करेंगे.
इसे भी पढ़ें : एबीपी न्यूज-सी वोटर सर्वे : बंगाल में फिर TMC की सरकार, भाजपा का सपना रहेगा अधूरा, सीटों का शतक लगा सकती है
आत्मनिर्भर भारत हमारा माथा ऊंचा करने वाला अभियान
पीएम ने आत्मनिर्भर भारत का महत्व बताते हुए कहा, जब हम आसमान में हम अपने देश में बने फाइटर प्लेन तेजस को कलाबाजिंयां खाते देखते हैं, तब भारत में बने टैंक, मिसाइलें हमारा गौरव बढ़ाते हैं. जब हम दर्जनों देशों तक मेड इन इंडिया वैक्सीन को पहुंचाते हुए देखते हैं तो हमारा माथा और ऊंचा हो जाता है. मोदी ने कहा, जब प्रत्येक देशवासी गर्व करता है, प्रत्येक देशवासी जुड़ता है, तो आत्मनिर्भर भारत, सिर्फ एक आर्थिक अभियान न रहकर एक नेशनल स्पिरिट बन जाता है.
युवा नया सोचने में संकोच नहीं करें
पीएम ने रविदास जयंती के एक दिन बाद उन्हें नमन करते हुए कहा, हमारे युवाओं को संत रविदास जी से कुछ बातें जरूर सीखनी चाहिए. युवाओं को किसी भी काम के लिए खुद को पुराने तौर-तरीकों से नहीं बांधना चाहिए. आप अपने जीवन को खुद ही तय करिए. अपने तौर-तरीके खुद बनाएं और अपने लक्ष्य भी खुद ही तय करें.
अगर आपका विवेक और आत्मविश्वास मजबूत है, तो आपको दुनिया की किसी चीज से डरने की जरूरत नहीं है. कई बार युवा एक चली आ रही सोच के दबाव में वह काम नहीं कर पाते, जो उन्हें पसंद होता है. इसलिए आपको नया सोचने में कभी संकोच नहीं करना चाहिए.
वैज्ञानिकों को जानें, समझें और खूब पढ़ें.
पीएम ने कहा, आज नेशनल साइंस डे भी है. आज का दिन भारत के महान वैज्ञानिक, डॉक्टर सीवी रमन जी द्वारा की गयी Raman Effect खोज को समर्पित है. मोदी ने कहा कि मैं जरूर चाहूंगा कि हमारे युवा भारत के वैज्ञानिक- इतिहास को, हमारे वैज्ञानिकों को जानें, समझें और खूब पढ़ें.
जब हम साइंस की बात करते हैं तो कई बार इसे लोग फिजिक्स-केमिस्ट्री या फिर लैब्स तक ही सीमित कर देते हैं, लेकिन साइंस का विस्तार इससे कहीं ज्यादा है और आत्मनिर्भर भारत अभियान में साइंस की शक्ति का बहुत योगदान है.