Ranchi : ईसाई समाज में फिलहाल प्रभु ईसा मसीह का दुख भोग का काल चल रहा है. यह दुख भोग काल 40 दिनों का होता है, जिसमें पूरा समाज ईश्वर द्वारा मानव जाति के लिए किए गए उद्धार कार्यों और उनका पाप से छुटकारा के लिए प्रार्थना करते हैं. इन दिनों वे उपवास, दान-दक्षिणा, ईश्वर के कार्यों पर विशेष चिंतन-मनन करते हैं. इसी चालीस दिनों के चौथे रविवार पर रांची महाधर्मप्रांत के आर्चबिशप फेलिक्स टोप्पो ने मकुंदा में फादर बिनय और फादर संजय के रविवारीय मिस्सा-अनुष्ठान किया. अवसर पर उन्होंने विश्वासियों को याद दिलाया कि ईश्वर ने मनुष्य से इतना प्यार किया कि उसने अपने इकलौते पुत्र को इस संसार को दे दिया. हमें उनके इस बलिदान को व्यर्थ नहीं जाने देना है और उनके अनुसार जीवन व्यतीत करना है.
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ईश्वर प्रेम और क्षमाशील है
चालीसा काल के चौथे रविवार पर दूसरी ओर सामलौंग के लुर्द की माता चर्च में रांची महाधर्मप्रांत के सहायक बिशप थियोडोर मस्कारेन्हास ने विशेष मिस्सा संपन्न की. उन्होंने अपने संदेश में कहा कि ईश्वर प्रेम और क्षमाशील हैं. हम जितनी बार अपने गलत कार्यों के कारण उससे दूर चले जाते हैं, वह हमसे उतनी ही तत्परता से हमें नए जीवन जीने के लिए बुलाता है. हमें उनके अनुरूप ही जीवन जीना है, तभी हमारा जीवन सफल होगा.
चर्च के उत्थान में युवाओं की भूमिका अहम
रविवारीय मिस्सा के बाद चालीसा काल के संबंध में कैथोलिक सभा के सदस्यों के साथ बैठक हुई. इसके बाद एक विशेष बैठक समलौंग पल्ली के युवाओं के साथ किया गया. बैठक में समलोंग पल्ली की नई यूथ समिति के चुनाव पर चर्चा की गई. बिशप थिओडोर ने जोर देकर कहा कि पल्ली के उत्थान में यूथ की भूमिका अहम होती है, इसलिए पल्ली की सेवा मन से करें. इस विशेष बैठक में पल्ली के पल्ली पुरोहित फादर नेलशन बरला, स्कूल के इंचार्ज और सहायक पल्ली पुरोहित फादर आनंद लकड़ा, सामलौंग पल्ली के यूथ इंचार्ज फादर विक्टर लकड़ा, फादर सुशील टोप्पो और सामलौंग पल्ली यूथ शामिल थे.
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