Saraikela/Kharsawan/Chaibasa : सरायकेला, खरसावां, कुचाई और आसपास के क्षेत्रों में धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा की धूम मची हुई है. खरसावां के खेलारीसाही, कुम्हारसाही, दितसाही, बाजारसाही, हरिभंजा, डंगलटांड (कृष्णापुर), टांकोडीह, विषेयगोड़ा, सीनी, सरमाली, बुरुडीह, आमदा, बड़ाबाम्बो, छोटाबाम्बो, बलियाटाड़, जोरडीहा, डंगलटाड़ आदि स्थानों पर लक्ष्मी पूजा में पूजा के लिए बड़ी संख्या में भक्त पहुंचे थे. इसमें महिलाओं की संख्या अधिक थी. खरसावां और कुचाई के विभिन्न क्षेत्रों में करीब 100 स्थानों पर मां लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित कर पूजा अर्चना की जा रही है. पुरोहितों ने माता की प्रतिमा के समक्ष हवन पूजन किया. मां लक्ष्मी पंडाल और मंदिरों में पूजा के लिए सुबह से ही भक्त सोशल डिस्टेंस बनाते हुए पूजा के लिए पहुंचे थे. इस दौरान भक्तों ने माता के दरबार में प्रसाद चढ़ाया और मन्नत पूरी होने पर भी चढ़ावा चढ़ाया. कई गांवों में मां लक्ष्मी की आकर्षक प्रतिाम स्थापित की गई है. घरों में भी धान का पौधा रख कर मां लक्ष्मी की पूजा की गई. मौके पर महिलाओं ने व्रत रख कर मां लक्ष्मी से सुख, शांति, समृद्धि की कामना की. खरसावां के खेलारीसाही में धन और वैभव की देवी मां लक्ष्मी की पूजा 36 सालों से हो रही है. पूजा के दौरान रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित की जा रही है. यहां महिलाओं ने कलश यात्रा निकाल कर माता की पीठ स्थापित कर पूजा अर्चना की.
चाईबासा में बंगाली समुदाय ने घरों में कलश स्थापित कर मां लक्ष्मी की पूजा अर्चना की
इधर चाईबासा में बंगाली समुदाय के अलावा विभिन्न स्थानों में बुधवार को धन की देवी लक्ष्मी पूजा धूमधाम से मनाई गई. लक्ष्मी पूजा दुर्गा पूजा के कुछ दिन बाद ही पहली पूर्णिमा को मनाई जाती है. मां लक्खी के नाम से पुकारी जाने वाली धन की देवी की आराधना करने के लिए परिवार के लोग सुबह से ही अपने घरों की साफ सफाई कर द्वार पर कलश, आम पत्ता, रंगोली बनाकर पूजा की तैयारी में लग जाते हैं. बंगाली समुदाय के प्रत्येक घरों में यह पूजा की जाती है. लोगों का कहना है कि लक्ष्मी पूजा हर परिवार में मूर्ति, तस्वीर या कलश बैठा कर की जाती है. आज के दिन ही गृह प्रवेश और नई दुकानों का शुभारंभ किया जाता है. कई दुर्गा पंडालों में भी आज महालक्ष्मी की पूजा हो रही है. पूर्णिमा होने के कारण कई परिवार मंगलवार को भी मां की पूजा-अर्चना कर चुके हैं.