Ranchi : भाजपा सांसद निशिकांत दूबे की शिकायत पर देवघर डीसी मंजूनाथ भजंत्री पर की गयी कार्रवाई के बाद झारखंड की राजनीति गरमा गयी है. राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) अब खुलकर IAS अधिकारी के समर्थन में आ गया है. पार्टी प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा है कि डीसी द्वारा एसपीटी एक्ट उल्लघंन कर ली गयी जमीन का रजिस्ट्रेशन रद्द करने के बाद ही शिकायत करने वालों को मिर्ची लगी है. उनकी पार्टी किसी भी हाल में एसपीटी एक्ट का उल्लंघन नहीं होने देगी. सुप्रियो ने कहा है कि जो अधिकारी एसपीटी एक्ट के उल्लंघन को रोकने का काम करेगा, वह निश्चित तौर झारखंड का हितैषी है. और जो झारखंड का हितैषी है, वह झारखंड मुक्ति मोर्चा का अपना साथी है. जेएमएम नेता ने कहा कि चुनाव आयोग के पास ऐसा कौन सा अधिकार है, जो वह सामान्य दिनों में राज्य सरकारों को गाइड कर रहा है. क्या अब चुनाव आयोग तय करेगा कि राज्य के प्रशासनिक पदाधिकारी कौन होंगे. राज्य में धोती- साड़ी योजना चलेगी की नहीं. पोटो हो खेल योजना चलेगी की नहीं. उन्होंने चुनाव आयोग से अपील कर कहा कि भाजपा के अग्रणी संस्थान के रूप में वह नहीं आये. देश के करोड़ों मतदाता उस पर भरोसा करते हैं.
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पहले सीबीआई, ईडी से राज्य सरकार को परेशान किया जाता था, अब नये केंद्रीय चुनाव आयोग द्वारा
पार्टी मुख्यालय में मंगलवार को प्रेस वार्ता कर जेएमएम नेता चुनाव आयोग की कार्यशैली पर भी सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि मधुपुर उपचुनाव में जब देवघर के तत्कालीन डीईओ सह उपायुक्त ने चुनाव आयोग को पत्र लिख शिकायत की थी कि गोड्डा के भाजपा सांसद निशिकांत दूबे चुनाव को डिस्टर्ब कर रहे हैं, लोगों के बीच कंफूयजन पैदा कर रहे हैं. ऐसे में उन पर कार्रवाई की जाए. लेकिन आयोग ने तत्कालीन डीसी को ही चुनाव कार्यों से हटा दिया. इस तरह की कार्यशैली से साफ हो गया कि इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया अब “एक्सटेंडेड सेंटर ऑफ इंटरवेंशन” की तरह काम कर रहा है. यानी पहले सीबीआई, ईडी से राज्य सरकार को परेशान किया जाता था, अब नये केंद्रीय चुनाव आयोग द्वारा.
सुप्रियो ने पूछा, अनुराग गुप्ता पर क्यों तीन साल बाद दर्ज किया गया एफआईआर
सांसद निशिकांत दूबे पर देर से एफआईआर कराने के चुनाव आयोग के तर्क पर भी सुप्रियो भट्टाचार्य ने पलटवार किया. कहा कि क्राइम नेवर डाइज यानी कि अपराध कभी भी मरता नहीं है. उन्होंने पूछा कि राज्यसभा चुनाव – 2016 में जब तत्कालीन एडीजी (स्पेशल ब्रांच) अनुराग गुप्ता पर एफआईआर दर्ज कराने की बात कही गयी, तो तत्कालीन मुख्य सचिव ने मामला दर्ज नहीं किया. तीन साल बाद मामला दर्ज किया गया. इसी तरह दसवीं अनुसूची मामले में बाबूलाल मरांडी के भाजपा में विलय पर चुनाव आयोग ने तय कर दिया कि जेवीएम का भाजपा में विलय हो गया. मामले में तो आयोग का विशेषाधिकार है. लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों की नियुक्ति पर चुनाव आयोग किस अधिकार के तहत निर्देश दे रहा है.
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