Tamar : भोजपुरी,मगही और अंगिका भाषा को हेमंत सरकार द्वारा झारखंड में क्षेत्रीय भाषा का दर्जा दिये जाने की चिंगारी तमाड़ के सुदूरवर्ती अति उग्रवाद प्रभावित गांवों तक जा पहुंचा.कुबासाल बाजार टांड क्षेत्र में शुक्रवार को सैकड़ों गांव के ग्रामीण जुटे. इनमें महिलाओं की संख्या भी काफी थी. सब अपने हाथों में तख्ती लेकर हेमंत सोरेन मुर्दाबाद, शिबू सोरेन मुर्दाबाद के नारे लगा रहे थे. झारखंडी भाषा संघर्ष मोर्चा के बैनर तले बाजार टांड में बैठक हुई. जिसमें भोजपुरी, मगही, अंगिका आदि भाषाओं का जोरदार विरोध करते हुए दिसुम गुरु और हेमंत सोरेन का पुतला जलाया गया.
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झारखंड की माटी की लडाई है
ग्रामीणों की आम सभा में भाजपा और आजसू सहित अन्य दलों के नेता भी शामिल हुए. आजसू नेता मथुरा साहु ने लोगों से अह्वान किया कि यह लड़ाई न नेता न पार्टी, पहले झारखंड की माटी की लडाई है. इस लड़ाई में सभी एक जुट होकर झारखंडी भाषाओं पर किया जा रहा अतिक्रमण को जिस तरह हेमंत सरकार ने बढ़ावा दिया है, उसका जोरदार विरोध-प्रदर्शन कर सरकार को यह याद दिलाते हुए अपने चुनावी वादे 1932 का खतियान लागू करने का जनता को जो सब्जबाग दिखाया और झारखंड की सत्ता हासिल की. अब वही जेएमएम पार्टी और उसके मुखिया झारखंडी अस्मिता के साथ खिलवाड़ कर रहे है.
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अब उलगुलान का समय आ गया है
इसलिए अब उलगुलान का समय आ गया है. इसके लिए गांव-गांव में लोग गोलबंद होकर सरकार के पुरजोर विरोध के लिये आगे आना होगा. युवा नेता दुबराज महतो ने हेमंत सरकार की सहयोगी बनी कांग्रेस पार्टी पर भी वार करते हुए कहा कि जिस भाषा को झारखंड में मान्यता देने का कुत्सित प्रयास किया जा रहा है वह अपना अस्तित्व खो चुकी कांग्रेस पार्टी भी पूर्ण रूप से सहयोगी बनी हुई है. ऐसी पार्टियों और इसके नेताओं को सबक सिखाने का समय आ गया है. इस अवसर पर उप मुखिया अशोक सिंह मुंडा, निशिकांत उरांव, अजित महतो, परमेश्वर महतो, ललित कुमार महतो, सीताराम मुंडा, हरिहर महतो, कुंती देवी, सुभद्रा देवी, सरस्वती देवी, सोरी देवी आदि ने भी सभा को संबोधित किया.