Ranchi : कोरोना की दूसरी लहर में स्थिती काफी भयावह थी. लोग तेजी से संक्रमित तो हो ही रहे थे पर कई लोगों की मृत्यु भी हो रही थी. ऐसे में पूरे देश में डर का माहौल था. लोगों को मेंटल हेल्थ पर इसका असर काफी हो रहा था. परिस्थितियों को देखते हुए रांची जिला प्रशासन ने सेंट्रल इंस्टिट्यूट ऑफ साइकेट्री (सीआईपी) के साथ मिलकर हेल्पलाइन नंबर जारी किए थे. हालांकि सीआईपी पूर्व से ही लगभग 20 हेल्पलाइन नंबरों के जरिए लोगों की मदद कर रहा था. दूसरी लहर में लॉकडाउन और संक्रमण फैलने का समय भले ही कम हो पर संक्रमण की तीव्रता अधिक थी. ऐसे में लोगों को संक्रमित और मरने का डर ज्यादा सता रहा था. इसके लिए 14 हेल्पलाइन नंबर जारी किया गया. इन नंबरों पर हर दिन लगभग 40 फोन आ रहे है.
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पहले लहर में फोन अधिक पर मानसिक परेशानी की नहीं थी समस्या
पहले लहर में फोन अधिक पर मानसिक परेशानी की नहीं थी समस्या, पर अब लगभग हर कोई मानसिक परेशानी के लिए कर रहे संपर्क – सीआईपी के डायरेक्टर डॉ बासुदेव दास
सीआईपी के डायरेक्टर डॉ बासुदेव दास ने बताया कि कोविड की पहली लहर में अधिक लोगों के फोन आए. पर उस लहर में मेंटल हेल्थ से जुड़े फोन कम आते थे. लोग रोजगार, दूसरे राज्य में फंसे होने, लॉकडाउन, प्रशासनिक मदद, आदि के लिए फोन करते थे. पर इस लहर में काफी फोन मानसिक रुप से परेशान लोगों के आये है. कोरोना का डर है, किसी को अगर कोविड हुआ है तो याददाश्त से जुड़ी समस्या, डिप्रेशन, परिवार में किसी की मृत्यु के बाद उससे उभरने में दिक्कत हो रही हो. जैसी समस्याओं के साथ लोग अधिक फोन कर रहे है.
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दूसरे लहर की शुरुआत में डर से जुड़े और अब डिप्रेशन के लिए आते है फोन
लगभग प्रति दिन 40 कॉल्स आ रहे थे. जब कोविड का दूसरा लहर पीक पर था लोग सबसे ज्यादा संक्रमण के डर से ही फोन कर रहे थे. संक्रमण कम होते ही धीरे-धीरे फोन डिप्रेशन के लिए आने लगे. इसके अलावा अब भी वैसे लोग अधिक फोन कर रहे हो जिनके परिवार में किसी की मृत्यु हुई हो और उन्हें उस चीज से निकलने में काफी परेशानी हो रही है.
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उम्मीद न हारे, जिस चीज की शुरुआत उसका अंत भी निश्चित
डॉ बासुदेव का कहना है कि जब भी अचानक से कोई ऐसे चीज होती है तो लोगों को उसे स्वीकार करने में दिक्कत होती है. जब कोविड आया था तब लोगों को लगा कि 3-4 महिने में सब ठीक हो जाएगा. पर जब ये दूसरे लहर के बाद भी है तीसरी लहर की बात हो रही, तो लोगों को डर है कि ये कब तक रहेगा, कभी जाएगा भी या नहीं. पर हमें यह मान कर चलना है कि जिसका शुरुआत हुआ है उसका अंत भी होगा. जबतक खत्म नहीं हो जाता हमें इससे बचाव करना है. मास्क पहने, हाथों को सैनेटाइज करे और सोशल डिस्टेंशिंग का पालन करें.
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