Vineet Upadhyay
Ranchi : झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने झारखंड हाइकोर्ट में जो रिट याचिका दाखिल की है, उसमें राज्यपाल रमेश बैस की चुप्पी को असंवैधानिक बताया गया है. मुख्यमंत्री ने उनकी सदस्यता के बारे में भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) की कथित राय पर सत्तारूढ़ विधायकों के बड़े पैमाने पर खरीद-फरोख्त को समर्थन और प्रोत्साहित करने का आरोप लगाया है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपनी याचिका में अदालत से अनुरोध किया है कि राज्यपाल को ईसीआई के एक पत्र के आधार पर इस मामले में कोई कार्रवाई करने से रोका जाए, जिसे अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है.
142 पन्नों की रिट में उन्होंने कहा कि उनकी सदस्यता से संबंधित राय के बारे में जान-बूझकर खुलासा नहीं कर राज्यपाल और ईसीआई झारखंड में राजनीतिक अनिश्चितता और अस्थिरता पैदा कर रहे हैं. गौरतलब है कि बीजेपी ने हेमंत सोरेन के नाम पर स्टोन माइनिंग लीज लेने की शिकायत दर्ज कराई थी और उन्हें अयोग्य ठहराने की मांग की थी. ईसीआई ने सुनवाई पूरी की और राज्यपाल को अपनी राय भेजी है. लेकिन रिपोर्ट अभी तक सार्वजनिक नहीं की गई है.
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याचिका में कहा गया है कि “यह सर्वविदित है कि चुनाव आयोग की कथित सिफारिश के बाद राज्यपाल के कार्यालय की चुप्पी झारखंड मुक्ति मोर्चा, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के सत्तारूढ़ गठबंधन को अस्थिर करने के लिए प्रोत्साहन दे रही है. उन्होंने राज्यपाल पर सरकारिया आयोग और न्यायमूर्ति एमएम पुंछी आयोग की रिपोर्ट की टिप्पणियों और सिफारिशों के खिलाफ कार्रवाई करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सवाल किया कि क्या राज्यपाल ने अपने कृत्यों और चूक से भारत के संविधान में राज्यपाल के संवैधानिक महत्व और स्थिति को कम करके आंका है? उन्होंने अदालत से यह भी अनुरोध किया कि वह भारत निर्वाचन आयोग को निर्देश जारी करें कि राज्यपाल के अनुरोध पर दूसरी राय के लिए कार्रवाई करते हुए उन्हें सुनवाई का अवसर दिया जाए और राज्यपाल द्वारा ECI के मंतव्य का खुलासा किया जाए.
हेमंत सोरेन ने अपनी निजी हैसियत से याचिका दायर की है और अपने खिलाफ कार्यवाही को दुर्भावना और राजनीतिक विचारों से प्रेरित बताया है. उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ ईसीआई की पूरी कार्रवाई प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के खिलाफ थी, क्योंकि ईसीआई ने भारतीय जनता पार्टी बनाम हेमंत शीर्षक 2022 के संदर्भ केस नंबर 3 (जी) में दी गई राय की प्रति का खुलासा नहीं किया.
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