Ranchi : केंद्र सरकार माइक्रोसॉफ्ट, सिस्को और अमेजन जैसी कंपनियों के साथ किसानों और उनकी जमीनों का डेटा अगले साल को अप्रैल में साझा करेगी. विदेशी कंपनियों के साथ सरकार ने करार किया है. 2014 से एकत्र किये जा रहे ये डेटा कृषि पैदावार बढ़ने के नाम पर साझा किया जाना है. वहीं, देश में फसल उत्पादन बढ़ाने में मदद के बहाने विदेशी कंपनियों भारतीय बाजार में पैठ मजबूत करने में लगी है.
अमेजन, माइक्रोसॉफ्ट, सिस्को सिस्टम्स जैसे विदेशी टेक्नोलॉजी दिग्गजों और जियो प्लेटफॉर्म्स व आईटीसी जैसी देशी कंपनियों ने कृषि क्षेत्र में काम करने के लिए केंद्र सरकार से हाथ मिलाया है. इस पूरे मामले को किसान संगठनों का कहना है कि केंद्र सरकार ने जिस तरह 3 कृषि कानून लाकर कॉरपोरेट को लाभ पहुंचाने का काम किया है. उसी तरह देश के किसानों और उनकी जमीन का डेटा कंपनियों को साझा कर किसानों को जमीन बेचने पर मजबूर किया जायेगा.
इसे भी पढ़ें- बहुत हो गया #अब_PM_बदलो, Twitter पर कर रहा ट्रेंड
अप्रैल 2022 में डेटा साझा करेगा सरकार
अमेजन, माइक्रोसॉफ्ट और सिस्को कंपनियों को अप्रैल 2022 में देश के किसानों का डेटा साझा किया जाना है. निजी कंपनियों को किसानों का डेटा साझा करने का सीधा अर्थ है कि ये कंपनियां भविष्य में डेटा का इस्तेमाल अपने फायदे के लिए करेगी. देश में अबतक 12 करोड़ किसानों में से 5 करोड़ से अधिक के सार्वजनिक रूप से उपलब्ध डेटा को एकत्र किया गया है. केंद्र सरकार 36.11 लाख करोड़ रुपए के कृषि क्षेत्र में लंबित सुधार को आगे बढ़ाना चाहती है. इसके लिए ग्रामीण आमदनी बढ़ाना, आयात में कटौती करना, अनाज की बर्बादी रोकना सरकार जैसे मकसद बताया जा रहा है. वहीं कई राज्य एवं देश-विदेशों में कंसल्टेंसी का काम करने वाली कंपनी अर्न्स्ट एंड यंग का अनुमान है कि 2025 तक देश के कृषि-टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री का आकार 1.77 लाख करोड़ रुपए तक पहुंचने की क्षमता रखता है, जिसकी मौजूदा पैठ महज 1% है.
इसे भी पढ़ें- महंगाई की मार : अब दवाई भी हुई महंगी, 80 प्रतिशत तक बढ़ी कीमत
100 गांवों में पायलट प्रोजेक्ट पूरा हो चुका
माइक्रोसॉफ्ट ने एआई और मशीन लर्निंग की परख के लिए 100 गांवों का देश में चयन किया है. अमेजन पहले से मोबाइल एप से किसानों को रियल-टाइम सलाह और सूचना दे रही है. स्टार एग्रीबाजार जमीन की प्रोफाइलिंग, फसल अनुमान, मिट्टी और मौसम के पैटर्न पर डेटा जुटा रही है. ऐसी ही डेटा संचालित प्रणाली पिछले साल कर्नाटक में शुरू की गई थी.
छोटे और कमजोर किसानों को नुकसान की आशंका
ऑल इंडिया किसान महासभा, झारखंड के उपाध्यक्ष प्रफुल्ल लिंडा कहते हैं कि निजी कंपनियों को डेटा शेयर करना पूरी तरह को कॉर्पोरेट के हाथों में कृषि को सौप देने की तैयारी है. कृषि उत्पादन से लेकर कृषि व्यापार तक निजी कंपनियों के हाथों में चली जाएगी, जिससे कृषि उत्पाद महंगा मिलेगा. परंपरागत किसानों को नकदी फसल के उत्पादन में काफी नुकसान होगा. स्थानीय किसानों का डेटा कंपनियों के पास होगी, जहां अधिक पैदावार होगी. वहां से अनाज दूसरी जगह डंप किया जाएगा, जिससे स्थानीय किसानों को नुकसान उठाना पडेगा. इन कंपनियों द्वारा कृषि उत्पाद का संग्रह कर बाजार में अधिक मूल्य पर बेचा जाएगा.