New Delhi : कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा कि वह इससे स्तब्ध और शर्मिंदा है कि संयुक्त राष्ट्र महासभा में गाजा में संघर्ष-विराम का आह्वान करने वाले प्रस्ताव पर मतदान से भारत दूर रहा. उन्होंने आज शनिवार को कहा कि जब मानवता के हर कानून को ध्वस्त कर दिया गया है, तो ऐसे समय में अपना रुख तय नहीं करना और चुपचाप देखते रहना गलत है. नेशनल खबरों के लिए यहां क्लिक करें
“An eye for an eye makes the whole world blind” ~ Mahatma Gandhi
I am shocked and ashamed that our country has abstained from voting for a ceasefire in Gaza.
Our country was founded on the principles of non-violence and truth, principles for which our freedom fighters laid down…
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) October 28, 2023
शर्मिंदा हूं कि हम संघर्ष-विराम के मतदान से अनुपस्थित रहे
बता दें कि भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में उस प्रस्ताव पर मतदान से परहेज किया, जिसमें इजरायल-हमास संघर्ष में तत्काल मानवीय संघर्ष-विराम का आह्वान किया गया था. प्रियंका ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर किये अपने पोस्ट में महात्मा गांधी के उस कथन का उल्लेख किया कि आंख के बदले आंख पूरी दुनिया को अंधा बना देती है. उन्होंने कहा, मैं स्तब्ध और शर्मिंदा हूं कि हमारा देश गाजा में संघर्ष-विराम के लिए हुए मतदान में अनुपस्थित रहा.
भारत की स्थापना अहिंसा और सत्य के सिद्धांतों पर हुई थी
प्रियंका ने कहा, हमारे देश की स्थापना अहिंसा और सत्य के सिद्धांतों पर हुई थी. इन सिद्धांतों के लिए हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने जीवन का बलिदान दिया. यह सिद्धांत संविधान का आधार हैं, जो हमारी राष्ट्रीयता को परिभाषित करते हैं. वे भारत के उस नैतिक साहस का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिसने अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सदस्य के रूप में उसके कदमों का मार्गदर्शन किया है.
मानवता के हर कानून को नष्ट कर दिया गया
उन्होंने कहा, जब मानवता के हर कानून को नष्ट कर दिया गया है, लाखों लोगों के लिए भोजन, पानी, चिकित्सा आपूर्ति, संचार और बिजली काट दी गयी है और फलस्तीन में हजारों पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है, तब रुख अपनाने से इनकार करना और चुपचाप देखना गलत है. प्रियंका ने कहा कि यह उन सभी चीजों के विपरीत है, जिनके लिए एक राष्ट्र के रूप में भारत हमेशा खड़ा रहा है.
जॉर्डन के मसौदा प्रस्ताव पर मतदान से भारत दूर रहा
इजराइल-हमास संघर्ष संबंधी प्रस्ताव पर मतदान से दूर रहे भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में कहा कि आतंकवाद हानिकारक है और उसकी कोई सीमा, राष्ट्रीयता या नस्ल नहीं है तथा दुनिया को आतंकवादी कृत्यों को जायज ठहराने वालों की बातों को तवज्जो नहीं देनी चाहिए. भारत संयुक्त राष्ट्र महासभा में आम नागरिकों की सुरक्षा और कानूनी एवं मानवीय दायित्वों को कायम रखने शीर्षक वाले जॉर्डन के मसौदा प्रस्ताव पर मतदान से दूर रहा.
संयुक्त राष्ट्र की 193 सदस्यीय महासभा ने प्रस्ताव पारित किया
इस प्रस्ताव में इजराइल-हमास युद्ध में तत्काल मानवीय संघर्ष-विराम और गाजा पट्टी में निर्बाध मानवीय पहुंच सुनिश्चित करने का आह्वान किया गया था. संयुक्त राष्ट्र की 193 सदस्यीय महासभा ने उस प्रस्ताव को पारित किया, जिसमें तत्काल मानवीय संघर्ष-विराम का आह्वान किया गया था. प्रस्ताव के पक्ष में 121 देशों ने मत किया, 44 सदस्य मतदान से दूर रहे और 14 सदस्यों ने इसके खिलाफ वोट दिया. संयुक्त राष्ट्र में भारत की उप स्थायी प्रतिनिधि योजना पटेल ने कहा, हिंसा जब इतने बड़े पैमाने और तीव्रता पर होती है, तो यह बुनियादी मानवीय मूल्यों का अपमान है.
पटेल ने इजराइल में हमास के आतंकवादी हमलों को चौंकाने वाला बताया
पटेल ने इजराइल में सात अक्टूबर को हुए हमास के आतंकवादी हमलों को चौंकाने वाला बताते हुए कहा कि ये हमले निंदनीय हैं. मतदान के बारे में भारत के स्पष्टीकरण में हमास का उल्लेख नहीं किया गया. पटेल ने कहा, आतंकवाद हानिकारक है और इसकी कोई सीमा, राष्ट्रीयता या नस्ल नहीं होती. दुनिया को आतंकवादी कृत्यों को जायज ठहराने की कोशिश करने वालों पर गौर नहीं करना चाहिए.
भारत ने बंधकों की तत्काल बिना शर्त रिहाई का आह्वान किया
पटेल ने कहा कि भारत बिगड़ती सुरक्षा स्थिति और इस संघर्ष में आम नागरिकों की बड़ी संख्या में हुई मौत को लेकर बहुत चिंतित है. भारत ने बंधकों की तत्काल और बिना शर्त रिहाई का भी आह्वान किया. प्रस्ताव के खिलाफ मतदान करने वाले देशों में इजराइल और अमेरिका शामिल थे. चीन, फ्रांस और रूस ने प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया, जबकि कनाडा, जर्मनी, जापान, यूक्रेन और ब्रिटेन अनुपस्थित रहे.