Bali : इंडोनेशिया के बाली द्वीप पर आयोजित जी-20 देशों की शिखर बैठक में शामिल होने के बाद भारत के पीएम मोदी आज देश के लिए रवाना हो गये. आज बुधवार को इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो ने पीएम मोदी को जी-20 की अध्यक्षता सौंप दी. भारत एक दिसंबर से अगले 1 साल के लिए दुनिया के 20 सबसे प्रभावशाली देशों का नेतृत्व करेगा. जी-20 की अध्यक्षता मिलने पर पीएम मोदी ने कहा कि हम सब मिलकर जी-20 को वैश्विक कल्याण का प्रमुख स्रोत बना सकते हैं.
Ukraine is not a member of the G-20, yet Zelensky’s virtual address to the G-20 underscores the creeping politicization of this institution, thus undermining its consensus decision-making. It is also a reminder of the challenges India will face as it assumes the G-20 presidency.
— Brahma Chellaney (@Chellaney) November 15, 2022
Prime Minister Narendra Modi emplanes for India from Bali, Indonesia after attending the #G20Summit pic.twitter.com/EFnG3BTW92
— ANI (@ANI) November 16, 2022
India’s G-20 will be inclusive, ambitious: PM Modi promises at closing ceremony of G20 Summit
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— ANI Digital (@ani_digital) November 16, 2022
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भारत को चुनौतियों का सामना करना होगा
विशेषज्ञों के अनुसार जी-20 की अध्यक्षता मिलना वैश्विक फलक पर भारत के बढ़ते कद को दर्शाता है. रक्षा मामलों के विशेषज्ञ ब्रह्मा चेलानी का मानना है कि भारत के लिए यह चुनौतीपूर्ण होने जा रहा है. उन्होंने कहा, यूक्रेन जी-20 का सदस्य देश नहीं है, इसके बाद भी जेलेंस्की को जी-20 को संबोधित करने दिया गया.
यह इस बात को दर्शाता है कि जी-20 में धीरे-धीरे राजनीतिकरण तेज हो रहा है. जी-20 की अध्यक्षता संभालने के बाद भारत किस तरह की चुनौतियों का सामना करेगा, उसका यह रिमांइडर है. जी-20 के सदस्य देशों में फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, दक्षिण कोरिया, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्किये, ब्रिटेन, अमेरिका और यूरोपीय संघ शामिल हैं.
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भारत में है यूक्रेन युद्ध में शांति कराने की क्षमता
माना जा रहा है कि यूक्रेन युद्ध के बाद दुनिया दो भागों में बंट गयी है. जी-20 में दोनों गुटों के समर्थक देश शामिल हैं. हालांकि भारत एक ऐसी स्थिति में है जो पश्चिमी देशों और रूस दोनों के साथ ही घनिष्ठ संबंध रखता है. यही वजह है कि पिछले दिनों पश्चिमी मीडिया ने जोर देकर कहा था कि भारत यूक्रेन युद्ध में शांति कराने की क्षमता रखता है. जान लें कि पिछले दिनों पीएम मोदी ने जी-20 का लोगो, थीम और वेबसाइट जारी करते हुए दुनिया के सामने भारत की प्राथमिकताओं की ओर संकेत दिया था. भारत एक दिसंबर से शुरू हो रहे कार्यकाल में 200 कार्यक्रम आयोजित कराने जा रहा है.
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जी-20 के अंदर बढ़ रहे गंभीर मतभेद
खबर है कि भारत ने बांग्लादेश, मिस्र, मारिशस, नीदरलैंड, नाइजीरिया, ओमान, सिंगापुर, स्पेन और यूएई को साल 2023 के शिखर सम्मेलन के लिए अतिथि देश के रूप में आमंत्रित किया है. रूस-यूक्रेन के साथ-साथ भारत के सामने कई बड़ी चुनौतियां सुरसा की तरह से मुंह बाये खड़ी हैं. भारत की जी-20 में प्राथमिकता समावेशी, समान और सतत विकास, महिला सशक्तिकरण, डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर, जलवायु वित्तपोषण, वैश्विक खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा है.
जी-20 की विश्वसनीयता को बहुत धक्का लगा है
विशेषज्ञों का मानना है कि पिछले कुछ समय में जी-20 की विश्वसनीयता को बहुत धक्का लगा है. इसकी वजह यह है कि जी-20 के अंदर ही गंभीर मतभेद हो गये हैं. भारत को अध्यक्षता संभालने के बाद इस मतभेद को कम करना होगा और आगे आकर नेतृत्व करना होगा. भारत को विभिन्न विवादित मुद्दों का एक अनोखा हल खोजना होगा और विभिन्न देशों के बीच संबंध को मजबूत करना होगा.
भारत को सभी देशों के लिएआचार संहिता बनानी होगी
विशेषज्ञों का मानना है कि अगले पूरे साल वैश्विक अर्थव्यवस्था के संकट में बने रहने की आशंका है.. ऐसे समय पर जब यह मांग उठ रही है कि जी-20 से रूस को बाहर किया जाये, भारत को सभी देशों के लिए एक आचार संहिता बनानी होगी. जी20 एक वैश्विक आर्थिक सहयोग का प्रभावशाली संगठन है. यह वैश्विक जीडीपी का लगभग 85 प्रतिशत, वैश्विक व्यापार का 75 प्रतिशत से अधिक और विश्व की लगभग दो-तिहाई आबादी का प्रतिनिधित्व करता है
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