NewDelhi : भारत में सबसे सुलभ और सुगम न्याय प्रणाली की बात करें. तो यह महाराष्ट्र में उपलब्ध है. इंडिया जस्टिस रिपोर्ट 2020 यही कहती है. बता दें कि टाटा ट्रस्ट ने राज्यों द्वारा अपने नागरिकों को न्याय देने की क्षमता का आकलन करते हुए इंडिया जस्टिस रिपोर्ट 2020 जारी की है.
इसमें कहा गया है कि न्याय देने में महाराष्ट्र नंबर वन है. सबसे पीछे उत्तर प्रदेश है. खास बात यह है कि 2019 में भी इस रैंकिग में महाराष्ट्र नंबर वन पर था और इस साल भी नंबर वन पर काबिज है. जान लें कि रिपोर्ट भारत में न्याय व्यवस्था के कई आयामों की ओर प्रकाश डालती है. इंडिया जस्टिस रिपोर्ट 2020 के अनुसार महाराष्ट्र इस ओवरऑल रैंकिंग में नंबर वन रहा है.
गुजरात, छत्तीसगढ़, झारखंड हरियाणा और राजस्थान जैसे राज्यों को जस्टिस डिलीवरी में औसत रैकिंग मिली है. इंडिया जस्टिस रिपोर्ट के अनुसार गुजरात छठे, छत्तीसगढ़ 7वें, झारखंड 8वें स्थान पर है. झारखंड ने पिछले साल के मुकाबले रैंकिंग में 8 स्थानों की छलांग लगाई है.
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कर्नाटक अपने नागरिकों को पुलिस सेवा दिलाने में नंबर वन
रिपोर्ट में अगर अलग-अलग मानकों पर कानूनी सहायता मुहैया कराने में महाराष्ट्र नंबर वन, तमिलनाडु न्यायपालिका की सुविधा में नंबर वन और कर्नाटक अपने नागरिकों को पुलिस सेवा दिलाने में नंबर वन करार दिया है. राजस्थान की बात करें तो बेहतर जेल सुविधा के मामले में नंबर वन हैं.
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न्याय व्यवस्था कमजोर नागरिकों के अधिकारों के लिए आवाज उठाये : जस्टिस लोकुर
समावेशी समाज और गतिशील लोकतंत्र के निर्माण की दिशा में इन मानकों के महत्व को रेखांकित करते हुए भारत के सेवानिवृत चीफ जस्टिस मदन बी लोकुर ने कहा है कि न्याय व्यवस्था को कमजोर नागरिकों के अधिकारों के लिए आवाज उठानी चाहिए और इसकी प्रक्रियाएं ऐसी होनी चाहिए सभी नागरिक न्याय प्राप्त कर सकें.
जेल सुधार पर जोर देते हुए जस्टिस लोकुर ने इस रिपोर्ट की प्रस्तावना में लिखा है कि जेलों में कैदियों को केवल बंदी बनाकर रखने की बजाय उन्हें सुधारने के कार्य किए जाने चाहिए और उन्हें कानूनी सहायता और सेवाएं बहुत ही आसानी से उपलब्ध होनी चाहिए.
महाराष्ट्र के बाद इस रैंकिंग में तमिलनाडु, तेलंगाना, पंजाब और केरल क्रमश: दूसरे, तीसरे, चौथे और पांचवें स्थान पर हैं. इस रैंकिंग में तेलंगाना ने शानदार छलांग लगाई है. तेलंगाना इस रैंकिंग में पिछले साल 11वें नंबर पर था वो इस साल तीसरे नंबर आ गया है.
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यूपी, बंगाल, एमपी सर्वाधिक निचले स्थान पर
इस रैंकिंग में उत्तर प्रदेश पिछले साल की तरह एक बार फिर सबसे निचले पायदान पर यानी कि 18वें स्थान पर है. बता दें कि ये रैंकिंग 18 बड़े और मध्यम श्रेणी के राज्यों के लिए की गयी है. उत्तर प्रदेश को 10 में से 3.15 अंक मिले हैं. जबकि महाराष्ट्र 5.77 अंक लाकर नंबर वन रहा है.
बंगाल साल 2019 में इस रैंकिंग में 12वें नंबर पर था, लेकिन इस बार उसकी रैंकिंग में 5 अंकों की गिरावट हुई है और वो 17वें स्थान पर आ गया है. इसी तरह मध्य प्रदेश पिछले साल 9 स्थान पर था, लेकिन इस बार 7 अंक फिसलकर वो 16वें स्थान पर आ गया है.
त्रिपुरा ने लगायी छलांग
अगर भारत के छोटे राज्यों की बात करें तो त्रिपुरा ने शानदार काम किया है. त्रिपुरा, सिक्किम, गोवा, हिमाचल प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम और मेघालय के बीच रैंकिंग में त्रिपुरा न्याय देने में नंबर वन राज्य है. इस रैंकिंग में त्रिपुरा 2019 में सबसे नीचे 7वें नंबर पर था. जबकि पिछले साल नंबर वन पर रहने वाला गोवा तीसरे स्थान पर चला गया है.