NewDelhi : पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट कमेटी ऑफ सिक्योरिटी (CCS) ने 83 हल्के लड़ाकू विमान तेजस की 48 हजार करोड़ रुपये की खरीद पर मुहर लगा दी है. इस मेगा डील को अंतिम मंजूरी मिलने की घोषणा करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ट्वीट कर कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली सीसीएस ने बुधवार को भारतीय वायुसेना के स्वदेशी फाइटर जेट हल्के तेजस की खरीद की मंजूरी दी है.
The CCS chaired by the PM today approved the largest indigenous defence procurement deal worth about Rs 48,000 Cr to strengthen IAF’s fleet of homegrown fighter jet ‘LCA-Tejas’. This deal will be a game-changer for self-reliance in Indian defence manufacturing: Defence Minister pic.twitter.com/P7knIh9LWF
— ANI (@ANI) January 13, 2021
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तेजस Mk-1A तथा तेजस Mk-1 की खरीद को मंजूरी
भारतीय वायुसेना के लिए 73 हल्के लड़ाकू विमान तेजस Mk-1A तथा 10 तेजस Mk-1 विमानों की खरीद को मंजूरी दी गयी है. जान लें कि तेजस चौथी पीढ़ी के सुपरसोनिक लड़ाकू विमानों के समूह में सबसे हल्का और सबसे छोटा है. तेजस हल्का होने की वजह से तेजी दुश्मन को छकाने में सक्षम बताया जाता है. एचएएल के साथ अगले कुछ दिनों में हस्ताक्षर किये जाने की बात कही गयी है.
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यह सौदा भारतीय रक्षा विनिर्माण में आत्मनिर्भरता के लिए गेम-चेंजर होगा
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि लगभग 48000 करोड़ रुपये के सबसे बड़े स्वदेशी रक्षा खरीद सौदे को मंजूरी दी गयी है. कहा कि यह सौदा भारतीय रक्षा विनिर्माण में आत्मनिर्भरता के लिए एक गेम-चेंजर होगा. यह भारतीय वायुसेना की मदद करेगा. इससे लड़ाकू विमान स्क्वाड्रन की संख्या में गिरावट को रोकने में मदद होगी. यह हल्के लड़ाकू एयरक्राफ्ट Mk-1A का वैरिएंट एक स्वदेशी रूप से डिजाइन, विकसित और निर्मित किया गया अत्याधुनिक आधुनिक 4+ पीढ़ी का लड़ाकू विमान है.
यह विमान, जो सक्रिय इलेक्ट्रॉनिक रूप से स्कैन किये गये व्यूह रचना वाला (एईएसए) रडार, बियॉन्ड विजुअल रेंज (बीवीआर) मिसाइल, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर (ईडब्ल्यू) सुइट और एयर टू एयर रिफ्यूलिंग (एएआर) की महत्वपूर्ण परिचालन क्षमताओं से लैस है. यह भारतीय वायु सेना की ऑपरेशन की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एक शक्तिशाली प्लेटफार्म होगा.
यह 50 फीसद की स्वदेशी सामग्री के साथ लड़ाकू विमान की पहली खरीद (भारतीय स्वदेशी रूप से डिजाइन, विकसित और निर्मित) श्रेणी है, जो कार्यक्रम के अंत तक उत्तरोत्तर 60 प्रतिशत तक पहुंच जायेगी.
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