LagatarDesk : रूस-यूक्रेन वार के बाद अमेरिका-यूरोप सहित कई देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगा दिया. इसका सीधा फायदा भारत को हुआ है. भारत के रूस से कच्चे तेल का आयात अप्रैल से अब तक 50 गुना से अधिक बढ़ गया. महज तीन महीने में कच्चे तेल का आयात 50 गुना बढ़ गया. सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी है. (पढ़े, Corona Update : एक बार फिर बढ़ रहे कोरोना मामले, 24 घंटे में मिले 36 मरीज, रांची में सबसे ज्यादा संक्रमण)
कुल आयातित तेल में रूस की हिस्सेदारी 10 फीसदी
सूत्रों के अनुसार, यूक्रेन के साथ युद्ध शुरू होने से पहले भारत के कुल तेल आयात में रूस की हिस्सेदारी महज 0.2 फीसदी थी. लेकिन ग्लोबल मार्केट में संकट पैदा होने के बाद रूस ने भारत को सस्ती कीमत पर तेल देने की पेशकश की, तो भारतीय कंपनियों ने इस मौके को लपक लिया. जिसके बाद कुल आयातित तेल में रूस की हिस्सेदारी बढ़कर 10 फीसदी हो गयी है.
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सऊदी अरब को रूस ने पीछे छोड़ा
रूस ने भारत को कच्चा तेल बेचने के मामले में पिछले महीने सऊदी अरब को भी पीछे छोड़ दिया है. अब रूस दूसरा सबसे बड़ा सप्लायर बन गया है. रूस ने भारत को भारी छूट के साथ कच्चे तेल की पेशकश की है. भारतीय रिफाइनरी कंपनियों ने मई में करीब 2.5 करोड़ बैरल रूसी तेल खरीदा, जो इराक के बाद सबसे ज्यादा है.
रूस ने 30 डॉलर प्रति बैरल दिया कच्चा तेल
मालूम हो कि यूक्रेन संकट के समय ग्लोबल मार्केट में कच्चे तेल की कीमत 150 डॉलर के आसपास पहुंच गया था. वहीं रूस ने भारत को महज 30 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर क्रूड ऑयल की सप्लाई की. इससे भारत को माल ढुलाई पर बढ़ी लागत को भी घटाने में मदद मिली और घेरलू बाजार में पेट्रोल-डीजल की कीमतों को स्थिर बनाये रखा.
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रूस से खरीदे गये तेल में निजी कंपनियों की हिस्सेदारी 40 फीसदी
सूत्रों की मानें तो रूस से सस्ता क्रूड ऑयल खरीदने में निजी क्षेत्र की कंपनियां भी बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रही हैं. अप्रैल से अब तक रूस से खरीदे गये कुल तेल में निजी कंपनियों की भागीदारी 40 फीसदी है. जिसमें रिलायंस इंडस्ट्रीज और रोजनेफ्ट की नायरा एनर्जी प्रमुख रूप से शामिल हैं. बता दें कि भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश है. जो अपनी कुल जरूरत का 85 फीसदी कच्चा तेल बाहर से आयात करता है. यही कारण है कि जब रूस ने अपना तेल कम कीमत पर देने की पेशकश की तो मोदी सरकार ने इस अवसर को दोनों हाथों से लपक लिया.
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