New Delhi : वित्त वर्ष 2022-23 में रक्षा निर्यात का आंकड़ा 2014 के मुकाबले 23 गुना बढ़कर 16,000 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है. भारत में निर्मित ब्रह्मोस, आकाश मिसाइल, तेजस की डिमांड विदेशों में सर्वाधिक है. रक्षा मंत्रालय दी गयी जानकारी के अनुसार वर्तमान में रक्षा उपकरणों के भारतीय डिजाइन और विकास क्षमताएं 85 से अधिक देशों तक पहुंच रही हैं.
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रक्षा मंक्षालय के बयान के अनुसार डोर्नियर-228, 155 मिमी एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन, ब्रह्मोस मिसाइल, आकाश मिसाइल सिस्टम, तेजस, रडार, सिमुलेटर, माइन प्रोटेक्टेड वाहन, बख्तरबंद वाहन, पिनाका रॉकेट और लॉन्चर, गोला बारूद, थर्मल इमेजर्स, बॉडी आर्मर्स आदि प्रमुख ङथियारों के निर्यात किया जा रहा है.
भारतीय हथियारों की मांग लैटिन अमेरिकी देशों सहित अफ्रीकी देशों में बढ़ रही है
मंत्रालय द्वारा दी गयी जानकारी में बताया गया है कि भारतीय हथियारों की मांग विशेषकर लैटिन अमेरिकी देशों सहित अफ्रीकी देशों, और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में बढ़ रही है.भारत में बने लाइट कॉम्बैट हेलिकॉप्टर्स और एयरक्राफ्ट कैरियर भी विदेशी बाजारों को भा रहे हैं, इनकी मांग बढ़ रही है. बात करें तेजस की, तो यह महत्वपूर्ण करार दिया गया उच्च प्रदर्शन वाला हल्का युद्धक विमान है.
तेजस यह एक सीट और एक जेट इंजन वाला विमान है
तेजस को भारतीय वायुसेना के उपयोग के लिए डिज़ाइन और विकसित किया गया है. यह एक सीट और एक जेट इंजन वाला विमान है. इसका विकास भारत की रक्षा योजनाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. इसकी भी विदेशों में भारी डिमांड है. जानकारों का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2014 में केंद्र की सत्ता संभालने और मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने के बाद भारत रक्षा के क्षेत्र में ना केवल आत्मनिर्भर बनता जा रहा है बल्कि रक्षा निर्यात के मामले में विश्व का एक प्रमुख खिलाड़ी बनता जा रहा है.