NewDelhi : डिजिटलीकरण सुविधा को लेकर भारत की कार्यपर्णाली की अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने सराहना की है. खबरों के अनुसार IMF ने अपने वर्किंग पेपर(स्टैकिंग अप द बेनिफिट्स लेसन्स फ्रॉम इंडियाज डिजिटल जर्नी) में दावा किया है कि भारत ने अपने सतत विकास लक्ष्यों का समर्थन करने के लिए विश्वस्तरीय डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे (DPI) को डेवलप किया है. कहा कि यह उन देशों के लिए सबक हैं. जो डिजिटल बदलाव की शुरुआत कर रहे हैं.
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लाभार्थियों को भुगतान के प्रत्यक्ष हस्तांतरण (डायरेक्ट ट्रांसफर) में मदद मिली
IMF की यह रिपोर्ट कहती है कि डिजिटलीकरण ने भारत की अर्थव्यवस्था को औपचारिक बनाने में मदद की है. साथ ही आधार ने लीकेज को कम करते हुए लाभार्थियों को भुगतान के प्रत्यक्ष हस्तांतरण (डायरेक्ट ट्रांसफर) में मदद की है. जान लें कि वर्किंग पेपर में मोदी सरकार द्वारा शुरू की गयी प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) की सराहना की गयी है. कहा गया है कि मजबूत नीतियों से प्रतिस्पर्धी, खुला और किफायती दूरसंचार बाजार बना और मोबाइल डेटा की लागत में 90 फीसदी की कमी से डाटा के इस्तेमाल में उछाल आया.
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सुधारों के कारण व्यय में जीडीपी का लगभग 1.1 फीसदी बचाया गया
वर्किंग पेपर में कहा गया है कि नोटबंदी के कारण यूपीआई समेत भुगतान के अन्य तरीकों का अधिकतम इस्तेमाल हुआ. आधार ने भुगतान के हस्तांतरण करने, लीकेज को कम करने, भ्रष्टाचार को रोकने और कवरेज बढ़ाने के लिए घरों तक प्रभावी ढंग से पहुंचने के लिए एक उपकरण के रूप में मदद की. भारत सरकार का अनुमान है कि मार्च 2021 तक डिजिटल बुनियादी ढांचे और अन्य शासन सुधारों के कारण व्यय में जीडीपी का लगभग 1.1 फीसदी बचाया गया था .इसमें कहा गया है कि इस डिजिटल बुनियादी ढांचे का उपयोग करके भारत महामारी के दौरान गरीब परिवारों के एक प्रभावशाली हिस्से को जल्दी से सहायता प्रदान करने में सक्षम साबित हुआ.
सरकार ने एक एंकर क्लाइंट के रूप में कार्य किया
IMF के इस वर्किंग पेपर में कहा गया है कि सरकार ने उत्प्रेरक की भूमिका निभाई, एक एंकर क्लाइंट के रूप में कार्य किया और इंडिया स्टैक के संचालन में निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए संस्थानों की स्थापना की. पेपर में कहा गया है कि इस डिजिटल बुनियादी ढांचे का उपयोग करते हुए भारत कोविड-19 महामारी के दौरान गरीब परिवारों के एक बड़े हिस्से को जल्दी से सहायता प्रदान करने में सक्षम था. पेपर में कहा गया है कि डिजीटलीकरण से भारत को अपनी वैक्सीन डिलीवरी को जल्दी से बढ़ाने और बड़े पैमाने पर आंतरिक प्रवास जैसी चुनौतियों को दूर करने में मदद मिली.